सार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंथली रेडियो प्रोग्राम 'मन की बात' के जरिये रविवार को देशवासियों से संवाद किया। यह रेडियो कार्यक्रम का 74वां एडिशन था। मोदी ने इस महीने की शुरुआत में अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिये लोगों से अलग-अलग विषयों पर सुझाव और विचार मांगे थे। इस बार मोदी ने देशवासियों को पानी का महत्व समझाया। उन्होंने बताया कि कुछ दिन बाद ज​ल शक्ति मंत्रालय जल शक्ति अभियान 'कैच द रेन' शुरू करने जा रहा है। इस दौरान मोदी ने अपने जीवन की एक कमी बताई।

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंथली रेडियो प्रोग्राम 'मन की बात' के जरिये रविवार को देशवासियों से संवाद किया। यह रेडियो प्रोग्राम 74वां संस्करण था। मोदी ने इस महीने के शुरुआत में 'मन की बात' के लिए लोगों से अपने सोशल अकाउंट के जरिये सुझाव और विचार मांगे थे। मोदी नक हर बार की तरह इस बार भी विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय रखी। वहीं, लोगों से मिले सुझावों पर चर्चा की। 'मन की बात' से पहले राहुल गांधी ने मोदी को चैलेंज किया है कि उनमें हिम्मत है, तो रोजगार और किसानों की बात करके दिखाएं। राहुल गांधी ने यह ट़्वीट किया है।

'मन की बात' में मोदी ने पानी बचाने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि कुछ दिन बाद ज​ल शक्ति मंत्रालय जल शक्ति अभियान 'कैच द रेन' शुरू करने जा रहा है। इस दौरान मोदी ने अपनी एक कमी भी बताई। उन्होंने कहा कि एक छोटा और साधारण सवाल भी मन को झकझोर देता है। कुछ दिन पहले हैदराबाद की अपर्णा ने एक सवाल पूछा था कि आप इतने साल से पीएम हैं, सीएम रहे, आपको क्या कमी लगती है? मैं तमिल भाषा नहीं सीख पाया, यह कमी रह गई। यह एक सुंदर भाषा है, जो दुनिया में लोकप्रिय है।

मोदी ने की मन की बात
इस बार हरिद्वार में कुंभ भी हो रहा है। जल हमारे लिए जीवन, आस्था और विकास की धारा है। पानी एक तरह से पारस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। कहा जाता है पारस के स्पर्श से लोहा, सोने में परिवर्तित हो जाता है। वैसे ही पानी का स्पर्श जीवन के लिए जरूरी है।  पानी के संरक्षण के लिए हमें अभी से ही प्रयास शुरू कर देने चाहिए, 22 मार्च को विश्व जल दिवस भी है।

कल माघ पूर्णिमा का पर्व था। माघ महीना विशेष रूप से नदियों, सरोवरों और जलस्रोत्रों से जुड़ा हुआ माना जाता है। माघ महीने में किसी भी पवित्र जलाशय में स्नान को पवित्र माना जाता है। जब भी माघ महीने और इसके आध्यात्मिक सामाजिक महत्त्व की चर्चा होती है, तो ये चर्चा एक नाम के बिना पूरी नहीं होती। ये नाम है संत रविदास जी का। माघ पूर्णिमा के दिन ही संत रविदास जी की जयंती भी होती है। रविदास जी कहते थे-करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस। कर्म मानुष का धम्र है, सत् भाखै रविदास।। अर्थात हमें निरंतर अपना कर्म करते रहना चाहिए, फिर फल तो मिलेगा ही मिलेगा, कर्म से सिद्धि तो होती ही होती है। 
संत रविदास जी ने समाज में व्याप्त विकृतियों पर हमेशा खुलकर अपनी बात कही। ये मेरा सौभाग्य है कि मैं संत रविदास जी की जन्मस्थली वाराणसी से जुड़ा हुआ हूं। युवाओं को एक बात संत रविदास से सीखना चाहिए। उन्हें कोई भी काम करने के लिए खुद को पुराने तौर-तरीके से नहीं बांधना चाहिए। अपने जीवन को खुद तय करें। इसलिए नया सोचने और नया करने में कभी संकोच न करें। अपना लक्ष्य खुद तय कीजिए। आपका आत्मविश्वास मजबूत है, तो आपको किसी से डरने की जरूरत नहीं।

आज राष्ट्रीय विज्ञान दिवस है। आज का दिन भारत के महान वैज्ञानिक डॉक्टर सीवी रमन जी द्वारा की गई 'रमन इफेक्ट' खोज को समर्पित है। जब हम विज्ञान की बात करते हैं, तो कई बार इसे लोग भौतिक विज्ञान और रसायन विज्ञान या फिर लैब तक ही सीमित कर देते हैं, लेकिन विज्ञान का विस्तार इससे कहीं ज्यादा है और आत्मनिर्भर भारत अभियान में विज्ञान की शक्ति का बहुत योगदान है।

जब हम आसमान में अपने देश में बने लड़ाकू विमान तेजस को कलाबाजियां खाते देखते हैं, जब भारत में बने टैंक, मिसाइलें हमारा गौरव बढ़ाते हैं। जब हम दर्जनों देशों तक मेड इन इंडिया कोरोना वैक्सीन को पहुंचते देखते हैं, तो हमारा माथा और ऊंचा हो जाता है।

असम में हमारे मंदिर प्रकृति के संरक्षण में अपनी अलग ही भूमिका निभा रहे हैं। आप हमारे मंदिरों को देखेंगे तो पाएंगे कि हर मंदिर के पास तालाब होता है। इनका उपयोग विलुप्त होते कछुओं की प्रजातियों को बचाने के लिए किया जा रहा है। असम में कछुओं की सबसे अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं।

हमारे यहां बहुत से भारतीय खेल हैं, लेकिन उनमें कमेंट्री कल्चर नहीं आया है और इस वजह से वो लुप्त होने की स्थिति में हैं। मैं खेल मंत्रालय और निजी संस्थानों से भारतीय खेलों की अधिक से अधिक भाषाओं में अच्छी कमेंट्री करने पर विचार करने का आग्रह करता हूं।

यहां से सुना गया

'मन की बात' बात का प्रसारण मोदी के फेसबुक पेज अकाउंट, ट्वीटर पर लाइव देखा गया। आकाशवाणी और दूरदर्शन के सभी नेटवर्क पर भी इसका प्रसारण हुआ। यह आकाशवाणी की वेबसाइट  www.newsonair.com  और न्‍यूज ऑन एआईआर मोबाइल ऐप पर भी उपलब्‍ध था। 'मन की बात' कार्यक्रम आकाशवाणी, दूरदर्शन समाचार, प्रधानमंत्री कार्यालय तथा सूचना और प्रसारण मंत्रालय के यूट्यूब  चैनलों पर भी सीधे प्रसारित हुआ।  हिंदी में प्रसारण के बाद 'मन की बात' कार्यक्रम आकाशवाणी से क्षेत्रीय भाषाओं में किया गया। मोबाइल पर 1922 नंबर पर मिस्‍ड कॉल करके भी 'मन की बात' सुनी जा सकी।