सार

तीन तलाक बिल गुरुवार को लोकसभा में पास हो गया। इस बिल में तीन तलाक को गैर कानूनी बनाते हुए 3 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान शामिल है। 

नई दिल्ली। तीन तलाक बिल लोकसभा से एक बार फिर पास हो गया है। इसके पक्ष में 303 और विपक्ष में 82 वोट पड़े। कांग्रेस, डीएमके, एनसीपी समेत कई विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया, जबकि टीएमसी और सरकार की सहयोगी जेडीयू ने सदन से वॉक आउट कर दिया। यह बिल पिछली लोकसभा से पास हो चुका था लेकिन राज्यसभा से इस बिल को लौटा दिया गया था। इसके बाद 16वीं लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद इस लोकसभा में सरकार कुछ बदलावों के साथ बिल को फिर से लेकर आई। अब इस बिल को राज्यसभा से पारित कराने की चुनौती है, क्योंकि वहां एनडीए के पास पूर्ण बहुमत नहीं है।

तीन तलाक को सियासी चश्मे से न देखा जाय : रविशंकर

बहस के दौरान कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, “तीन तलाक को सियासी चश्मे से नहीं देखना चाहिए। यह विधेयक धर्म या मजहब से नहीं बल्कि नारी की गरिमा से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि तीन तलाक से पीड़ित महिलाओं को इंसाफ मिलना चाहिए। सीजेआई ने तीन तलाक को असंवैधानिक बताते हुए कानून बनाने के लिए कहा था। कोर्ट के फैसले के बाद भी देश में तीन तलाक के 345 मामले सामने आए। दुनिया के 20 इस्लामिक देशों ने तीन तलाक को बदला है और इनमें तीन तलाक प्रतिबंधित है। जहां शरिया है, जब वहां इस पर प्रतिबंध है तो हम तो सेक्युलर कंट्री हैं तो यहां क्यों नहीं?'” 

ओवैसी ने कहा- यह कानून औरतों पर जुल्म के जैसा
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ''तीन तलाक कानून महिलाओं के खिलाफ है। क्या शौहर जेल में रहकर भत्ता देगा। सरकार इस तरह औरतों को सड़क पर लाने का काम कर रही है। इस्लाम में शादी एक कॉन्ट्रैक्ट की तरह होती है। यह जन्म-जन्म का साथ नहीं है। मैं सुझाव देता हूं कि कानून न बनाकर मेहर की 500% रकम लौटाने का प्रावधान कर दिया जाए। हमको इस्लामिक देशों से मत मिलाइए वरना कट्टरपंथी को बढ़ावा मिलेगा।''

इसलिए हुआ बिल का विरोध?

बिल में तीन तलाक को अवैध ठहराया गया है। विपक्षी दलों ने भी इसका समर्थन किया। तीन तलाक देने पर तीन साल की सजा का प्रावधान है। बिल में तीन तलाक को गैरजमानती अपराध रखा गया है। विपक्षी दलों की दलील है कि इसे जमानती बनाया जाए। तीन तलाक देने पर पति पर भारी जुर्माने का प्रावधान है। विपक्षी दलों और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को इस पर आपत्ति है। पति पर लगाए जाने वाले जुर्माने की राशि जज तय करेगा, विपक्षियों को इस पर भी आपत्ति है। बोलकर लिखकर, अन्य सोशल मीडिया माध्यमों से तीन तलाक देना भी अवैध होगा। इस पर सभी की सहमति है। नाबालिग बच्चे को रखने का अधिकार महिला के पास होगा। इसको लेकर भी विरोध है। जिसमें कहा गया है कि पति जेल में होगा तो उसका भरण-पोषण कैसे होगा। गुजारा भत्ता और भरण पोषण का फैसला जज करेंगे, इस पर भी विरोध हुआ। पुलिस केवल तब एफआईआर दर्ज करेगी, जब पीड़ित पत्नी उसके रिश्तेदार या शादी के बाद उसके ससुरालपक्ष से किसी व्यक्ति की ओर से पुलिस से गुहार लगाई जाती है।