सार

केंद्र सरकार ने एक राष्ट्र एक चुनाव के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसका लक्ष्य 2029 तक इसे लागू करना है। इसके लिए संविधान में संशोधन और कुछ राज्य विधानसभाओं को समय से पहले भंग करना होगा। 

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की दिशा में कदम उठाया है। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को एक राष्ट्र एक चुनाव (One Nation One Election) के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इससे जुड़े विधेयक को संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है।

एक राष्ट्र एक चुनाव को लेकर अब क्या होगा आगे?

एक राष्ट्र एक चुनाव के लागू होने की समय-सीमा: केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि यह पहल 2029 तक लागू हो जाए। इसके लिए संविधान में संशोधन करना होगा। कुछ राज्य विधानसभाओं को समय से पहले भंग किया जा सकता है ताकि उनका कार्यकाल लोकसभा के कार्यकाल से फिट बैठे। जिन राज्यों में विपक्षी दलों की सरकार है वहां ऐसा करना सरकार के लिए आसान नहीं होगा।

संविधान संशोधन: पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली समिति ने संविधान में कई संशोधन सुझाए हैं। इनमें से अधिकांश को राज्य की मंजूरी की जरूरत के बिना संसद द्वारा पारित किया जा सकता है। हालांकि, कुछ बदलावों के लिए कम से कम आधे राज्यों की मंजूरी की जरूरत होगी।

विपक्ष की चिंताएं: एक राष्ट्र एक चुनाव के प्रस्ताव का विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह संघवाद को कमजोर करता है। इससे लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं बाधित हो सकती हैं। दूसरी ओर सरकार का कहना है कि पूरे देश में एक बार में चुनाव कराने से लागत में कमी आएगी। सरकार को पांच साल तक काम पर ध्यान देने का वक्त मिलेगा।

मोदी 3.0 कार्यकाल में एक राष्ट्र एक चुनाव पर है फोकस

बता दें कि मोदी 3.0 कार्यकाल में भाजपा का ध्यान एक राष्ट्र एक चुनाव पर है। नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में भी इसका जिक्र किया था। उन्होंने इसे "समय की जरूरत" बताया था और कहा था कि बार-बार चुनाव देश की प्रगति में बाधा पैदा कर रहे हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि एनडीए के मौजूदा कार्यकाल में एक राष्ट्र एक चुनाव लागू किया जाएगा।

मल्लिकार्जुन खड़गे बोले- 'भाजपा का एक और जुमला'

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक देश एक चुनाव को भाजपा का एक और जुमला बताया है। उन्होंने कहा, "हम इसके साथ नहीं हैं। लोकतंत्र में एक राष्ट्र एक चुनाव नहीं चल सकता। अगर हम चाहते हैं कि हमारा लोकतंत्र बचा रहे तो चुनाव जब भी जरूरी हो, कराए जाने चाहिए।"

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