सार
अमेरिका से 104 भारतीयों को सैन्य विमान से बेड़ियों में बांधकर वापस भारत भेजा गया। इस तरह की बर्बर कार्रवाई पर सवाल उठने के बाद भारत सरकार ने सफाई दी है।
US illegal immigrants: अमेरिका से अवैध रूप से रह रहे 104 भारतीयों को मंगलवार को एक सैन्य विमान सी-17 ग्लोबमास्टर III (C-17 Globemaster III) के जरिए भारत भेजा गया। यह विमान अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा। इस तरह की पहली निर्वासन (Deportation) प्रक्रिया को लेकर कई सवाल उठे, खासकर भारतीय नागरिकों के साथ किए गए बर्ताव और सैन्य विमान के इस्तेमाल को लेकर लोग सरकार की आलोचना करना शुरू कर दिए हैं। हालांकि, अमेरिका के इस रवैया पर भारत सरकार ने अपना बयान जारी कर इसे अमेरिका की सुरक्षा से जोड़ा है।
'राष्ट्रीय सुरक्षा ऑपरेशन' के तहत हुई कार्रवाई
विदेश सचिव विक्रम मिश्री (Vikram Misri) ने इस मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा: यह निर्वासन प्रक्रिया पहले की उड़ानों से अलग है। अमेरिकी सिस्टम में इसे 'राष्ट्रीय सुरक्षा ऑपरेशन' कहा गया, शायद इसलिए सैन्य विमान का उपयोग किया गया। भारत सरकार ने बताया कि अमेरिका में 487 भारतीय नागरिकों पर 'फाइनल रिमूवल ऑर्डर' (Final Removal Order) जारी किए गए हैं।
हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां…
मंगलवार को जो 104 भारतीय लौटे, वे 24 घंटे लंबी यात्रा के दौरान हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ियों में जकड़े रहे। अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा विभाग (US Border Patrol - USBP) के प्रमुख माइकल डब्ल्यू बैंक (Michael W. Banks) ने सोशल मीडिया पर 24 सेकंड का वीडियो पोस्ट किया, जिसमें कहा गया, "हमने अवैध प्रवासियों को सफलतापूर्वक भारत वापस भेज दिया। यह अब तक की सबसे लंबी निर्वासन उड़ान थी, जो सैन्य विमान से पूरी की गई। वीडियो के अंत में एक कड़ा संदेश दिया गया: "अगर आप अवैध रूप से सीमा पार करेंगे तो आपको निकाल दिया जाएगा।
ट्रम्प प्रशासन की कड़ी नीति और भारतीय निर्वासन
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) ने अवैध प्रवासियों को उनके देश वापस भेजने की नीति को सख्ती से लागू करने का वादा किया है। पहले भी अमेरिकी सैन्य विमानों से ग्वाटेमाला (Guatemala), पेरू (Peru) और होंडुरास (Honduras) के नागरिकों को वापस भेजा जा चुका है। यह भारत के लिए खास मामला इसलिए भी है क्योंकि यह निर्वासन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अमेरिका यात्रा से ठीक एक सप्ताह पहले हुआ है। पीएम मोदी 12-13 फरवरी को अमेरिका दौरे पर जाएंगे, जहां उनकी ट्रम्प से पहली मुलाकात होगी।
- ट्रैफिक से तंग आकर शख्स ने खुद को ही कर दिया 'पार्सल'
- मासूम ने किया दादी को Video Call पर दिखाया खौफनाक मंजर, बोली- पापा ने मम्मी को..
विदेश मंत्री जयशंकर का बयान: अमेरिका से भारतीयों का निर्वासन नया नहीं
विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) ने संसद में इस मुद्दे पर कहा कि अमेरिका लंबे समय से अवैध प्रवासियों को उनके देशों में वापस भेज रहा है। उन्होंने बताया कि हर साल सैकड़ों भारतीय अमेरिका से निर्वासित किए जाते हैं। यह संख्या 2012 में 530 से बढ़कर 2019 में 2,000 से अधिक हो गई थी। जयशंकर ने कहा: हमें कानूनी प्रवासन को बढ़ावा देना चाहिए और अवैध प्रवासन को हतोत्साहित करना चाहिए। सभी देशों का दायित्व है कि वे अपने अवैध नागरिकों को वापस लें। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका ने महिलाओं और बच्चों को हथकड़ी नहीं लगाई थी और यात्रा के दौरान भोजन व चिकित्सा जैसी जरूरतों का ध्यान रखा गया था।
104 भारतीयों को भेजने में कितना खर्च आया?
अमेरिका में प्रवेश के लिए भारतीयों ने 'डंकी' रूट (Donkey Route) का सहारा लिया था और इस सफर पर लाखों रुपये खर्च किए थे। लेकिन कुछ महीनों बाद ही उन्हें वापस भेज दिया गया।
सी-17 ग्लोबमास्टर (C-17 Globemaster) एक भारी परिवहन सैन्य विमान है, जिसकी परिचालन लागत सामान्य वाणिज्यिक उड़ानों की तुलना में काफी अधिक है। रॉयटर्स के अनुसार, पिछले हफ्ते ग्वाटेमाला भेजे गए 64 प्रवासियों पर करीब 28,500 डॉलर प्रति घंटा (₹23.6 लाख प्रति घंटा) का खर्च आया था। यह उड़ान करीब 10.5 घंटे लंबी थी। अगर इसी गणना को आधार बनाया जाए, तो 19 घंटे की सैन एंटोनियो (San Antonio, Texas) से अमृतसर (Amritsar) की उड़ान पर अमेरिकी सरकार का खर्च ₹4 करोड़ (Half a Million Dollars) से अधिक आया होगा।
यह भी पढ़ें:
Kash Patel: कौन हैं काश पटेल, जिनके दुश्मनों की लिस्ट में इन 3 नामों से मचा बवाल