सार

उत्तराखंड के यमुनोत्री हाईवे के डमटा के पास तीर्थयात्रियों की बस दुर्घटना का भयावह मंजर शायद की स्थानीय भूल पाएं। तहस-नहस हो चुकी बस और तीर्थयात्रियों की क्षत-विक्षत लाशें एक दर्दनाक कहानी बयां कर रही हैं। 

देहरादून। चारधाम की यात्रा पर निकले तीर्थयात्रियों को क्या पता था कि यह यात्रा उनकी अंतिम यात्रा होगी और देवभूमि में वह अंतिम सांस लेंगे। उत्तरकाशी को भी उस विभत्स हादसे को भूलाने में शायद अर्सा बीत जाए। पेड़ों व झाडिय़ों के ऊपर बिखरे अंग के लापता अंग, बस के क्षत-विक्षत अवशेष, यमुनोत्री जाने वाले तीर्थयात्रियों की दुर्घटना की भयावह छवियां उत्तरकाशी के निवासियों को लंबे समय तक परेशान करती रहेंगी।

दरअसल, बस हादसा होने के बाद डमटा के लोगों को सबसे पहले इस दुर्घटना के बारे में पता चला। काफी दूर मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के तीर्थयात्रियों के साथ हुई दुर्घटना की सूचना देने और मदद पहुंचाने में डमटा के ग्रामीणों ने कोई कोताही न की। अधिकारियों को सूचना देने के साथ ही आवश्यक सहयोग और बचाव कार्य के लिए सबसे पहले डमटा के लोग ही पहुंचे। रिखौं खड्ड में एक होटल चलाने वाले वीरेंद्र पंवार ने कहा कि दुर्घटना के आधे घंटे के भीतर बचाव दल मौके पर पहुंच गया, लेकिन तब तक दुर्घटना पीड़ितों की चीख-पुकार खत्म हो चुकी थी। उन्होंने कहा कि उनमें से ज्यादातर की मौके पर ही मौत हो गई थी।

ओवरटेक करता इसके पहले बस खाई में गिर चुकी थी

दुर्घटना के प्रत्यक्षदर्शी जिला पंचायत सदस्य हकम सिंह रावत ने कहा, "मैंने क्षत-विक्षत अंगों के साथ शव इधर-उधर पड़े देखे। उनमें से कुछ तो नीचे पेड़ों से लटके हुए थे।" उन्होंने कहा कि वह बस के ठीक पीछे चल रहे थे और यहां तक ​​कि यात्रा के दौरान बस से आगे निकलने की भी कोशिश की। रावत ने कहा कि इससे पहले कि मैं इससे आगे निकल पाता, यह एक बड़ी दुर्घटनाग्रस्त आवाज के साथ गहरी खाई में गिर चुकी थी।"

उन्होंने कहा कि उनके पहुंचने पर बचाव दल ने सबसे पहले जीवित बचे लोगों की तलाश शुरू की ताकि उन्हें जल्द से जल्द चिकित्सा सहायता दी जा सके। घायलों को बचाने में ज्यादा समय नहीं लगा क्योंकि रात 8 बजे तक उन्हें सड़क पर लाया गया था, लेकिन मृतकों को अंधेरे में लगभग 500 मीटर गहरी खाई से बाहर निकालना पुलिस, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ कर्मियों के लिए एक वास्तविक चुनौती थी। एनडीआरएफ इंस्पेक्टर संजय ने कहा कि कार्य करने के लिए रस्सियों और मशालों का इस्तेमाल किया। ग्रामीणों की सहायता से, बचाव अभियान सात घंटे से अधिक समय तक चला, शाम लगभग 7.30 बजे शुरू हुआ और सभी 26 शवों की बरामदगी और चार घायलों के बचाव के बाद सुबह 3 बजे समाप्त हुआ।

ड्राइवर व कंडक्टर के अलावा 28 तीर्थयात्री थे बस में

बस चालक और कंडक्टर के अलावा, मध्य प्रदेश के 28 तीर्थयात्री बस में यात्रा कर रहे थे। सभी लोग मध्यप्रदेश के पन्ना के रहने वाले थे। इस मार्ग दुर्घटना में 26 लोगों की मौत हो गई है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रविवार की देर रात हादसे की खबर सुनकर यहां पहुंचे और उत्तराखंड के अपने समकक्ष पुष्कर सिंह धामी के साथ सोमवार सुबह घटनास्थल का दौरा किया।

देहरादून से खजुराहो हवाईअड्डे पर पहुंचाया गया शव

शवों को देहरादून लाया गया, जहां से उन्हें भारतीय वायुसेना के विमान से खजुराहो हवाईअड्डे पर भेजा जाएगा ताकि उन्हें अंतिम संस्कार के लिए उनके परिवारों को सौंप दिया जाए। धामी ने कहा कि दुर्घटना के सही कारण का पता लगाने के लिए मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए गए हैं।

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