सार

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि महिला और पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं। मातृ शक्ति की उपेक्षा नहीं की जा सकती। मातृ शक्ति के जागरण का काम अपने परिवार से शुरू करना होगा।

नागपुर। महाराष्ट्र के नागपुर में स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुख्यालय में विजयादशमी समारोह का आयोजन किया गया है। पहली बार किसी महिला को आरएसएस के समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। यह सम्मान माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली महिला संतोष यादव को मिला है। विजयादशमी समारोह में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस मौजूद हैं। मोहन भागवत ने शस्त्र पूजन किया है।

मातृ शक्ति की उपेक्षा नहीं की जा सकती
विजयादशमी समारोह में मोहन भागवत ने कहा कि पुरुष श्रेष्ठ है या महिला, इसपर हम विवाद नहीं करते। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। इनके बिना समाज नहीं बन सकता। समाज के सारे काम पुरुष और महिला मिलकर करते हैं। महिलाओं की उपेक्षा नहीं की जा सकती। उनको भी सशक्त करना होगा। विदेशी आक्रमणों के समय सुरक्षा के नाम पर महिलाओं पर बंधन लगाया गया। आक्रमणकारी चले गए, लेकिन महिलाओं को बंधन से मुक्त नहीं किया गया। एक तरफ उन्हें जगत जननी मानकर पूजा करते हैं दूसरी ओर घर में बंद कर रखते हैं। मातृ शक्ति की उपेक्षा नहीं की जा सकती। 

पुरुष जो काम कर सकते हैं मातृ शक्ति कर सकती है, लेकिन जो काम मातृ शक्ति कर सकती है वह पुरुष नहीं कर सकते। मातृ शक्ति के जागरण का काम अपने परिवार से शुरू करते हुए सार्वजनिक संगठनों में लागू करते हुए हमें समाज तक ले जाना होगा। इसके बिना पूरे समाज की शक्ति काम नहीं करेगी। इसके बिना हमारे देश का नवउत्थान नहीं हो सकता। 

हमारी प्रतिष्ठा दुनिया में बढ़ी है। जिस प्रकार से श्रीलंका के संकट में भारत ने उसकी मदद की। जिस प्रकार यूक्रेन की भूमि पर अमेरिका और रूस की लड़ाई चल रही है। इस मामले में भारत के पक्ष को सुना जा रहा है। राष्ट्रीय रक्षा के मामले में हम आत्मनिर्भर हो रहे हैं। कोरोना महामारी के बाद हमारी अर्थव्यवस्था सुधर रही है। हमारे खिलाड़ी विजय प्राप्त कर देश का नाम रोशन कर रहे हैं। इससे गर्व से हमारा सीना चौड़ा हो जाता है। 

सनातन मूल्यों का क्षरण न हो
मोहन भागवत ने कहा कि सनातन मूल्यों का क्षरण नहीं होना चाहिए। जो लोग भारत की प्रगति नहीं होने देना चाहते वे बाधा पैदा करते हैं। वे हमारे मन में द्वेश उत्पन्न करने का प्रयास करते हैं। हमारे बीच दूरियां बढ़ाने का प्रयास करते हैं। आतंक का माहौल बनाने का प्रयास करते हैं। वे अराजकता लाने की कोशिश करते हैं। हम उनको पैठ दें, इसके लिए वे हमसे नजदीकि जताते हैं। उनके इस चंगुल में फंसना नहीं है। राष्ट्र विरोधी ताकतों का प्रतिकार करना होगा। जो कार्रवाईयां चल रही हैं, उसमें समाज भोलेपन में नहीं फंसे। 

भारत का परम वैभव हमारा लक्ष्य है। इस लक्ष्य के लिए समाज का सफल सहयोग आवश्यक है। मातृभाषा  को आगे बढ़ाने की बात होती है। नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा भी मातृभाषा में हो इसकी व्यवस्था की गई है, लेकिन क्या हम अपने बच्चों को मातृभाषा में पढ़ाने के लिए तैयार हैं। करियर के लिए अंग्रेजी जरूरी नहीं है। हम अपने बच्चों को मातृभाषा में पढ़ाने वाले स्कूलों में नहीं भेजेंगे तो क्या शिक्षा नीति सफल होगी? क्या हम अपने घर का नेम प्लेट मातृभाषा में लगाते हैं? क्या हम निमंत्रण पत्र मातृभाषा में भेजते हैं? 

छोटी-छोटी बातों के लिए नहीं लड़ना है
मंदिर, जल और श्मशान भूमि सबके लिए समान होनी चाहिए। हमें छोटी-छोटी बातों पर नहीं लड़ना चाहिए। कुछ लोगों द्वारा डरा-धमकाकर यह कहा जा रहा है कि हमारी वजह से अल्पसंख्यकों को खतरा है। यह न तो संघ का स्वभाव है और न ही हिंदुओं का। संघ भाईचारे, सौहार्द और शांति के पक्ष में खड़ा होने का संकल्प लेता है। हिंदू राष्ट्र की अवधारणा की चर्चा हर तरफ हो रही है। कई लोग अवधारणा से सहमत हैं, लेकिन 'हिंदू' शब्द के विरोध में हैं और दूसरे शब्दों का उपयोग करना पसंद करते हैं। हमें इससे कोई दिक्कत नहीं है। अवधारणा की स्पष्टता के लिए हम अपने लिए हिंदू शब्द पर जोर देते रहेंगे।

धर्म आधारित जनसंख्या असंतुलन एक महत्वपूर्ण विषय है। इसकी उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। जनसंख्या असंतुलन से भौगोलिक सीमाओं में परिवर्तन होता है। जन्म दर में अंतर के साथ-साथ बल, लालच और घुसपैठ से धर्मांतरण भी ऐसा होता है। लोगों को गलत के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए, लेकिन कानून के दायरे में रहकर काम करना चाहिए। जनसंख्या को संसाधनों की आवश्यकता है। यदि यह बिना संसाधनों का निर्माण किए बढ़ता है तो बोझ बन जाता है। एक और दृष्टिकोण है जिसमें जनसंख्या को एक संपत्ति माना जाता है। हमें दोनों पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सभी के लिए जनसंख्या नीति पर काम करने की जरूरत है।

संतोष यादव ने दो बार की है माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई
बता दें कि संतोष यादव ने दो बार दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट पर दो बार चढ़ाई की है। वह ऐसा करने वाली दुनिया की एकमात्र महिला हैं। संतोष यादव का जन्म हरियाणा के रेवाड़ी जिला के जोनियावास गांव में 10 अक्टूबर 1967 को हुआ था। उन्होंने 1992 में पहली बार और 1993 में दूसरी बार माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की। उन्हें 2000 में पद्मश्री पुरस्कार और 1994 में तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

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संतोष यादव को मुख्य अतिथि संघ में महिलाओं के नेतृत्व को आगे बढ़ाने का मैसेज देने के लिए बनाया गया है। आरएसएस में जल्द ही सह-कार्यवाह और सह-सरकार्यवाह पद की जिम्मेदारी महिलाओं को मिल सकती है। 97 साल के आरएसएस के इतिहास में किसी महिला को यह पद नहीं मिला है।

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