सार

बिहार में वक्फ बोर्ड ने 90% हिंदू आबादी वाले एक गाँव पर अपना दावा ठोंका है, जिससे ग्रामीणों में हड़कंप मच गया है। वक्फ बोर्ड ने 1950 से जमीन पर अपना अधिकार होने का दावा करते हुए ग्रामीणों को जगह खाली करने के लिए नोटिस जारी किए हैं।

नई दिल्ली: देश में तुगलक कानून से भी भयावह वक्फ बोर्ड कानून में जल्द से जल्द संशोधन की जरूरत है। इसकी चर्चा जोरों पर है और इसी बीच बिहार में 90% हिंदुओं वाले एक पूरे गांव को वक्फ बोर्ड अपना बता रहा है। पटना से 30 किलोमीटर दूर गोविंदपुर गांव को अपना बताया है। गोविंदपुर गांव की आबादी लगभग 5 हजार है और यहां 95% हिंदू रहते हैं। गोविंदपुर के सात ग्रामीणों को वक्फ नोटिस जारी किया गया है। पूरा गांव अपना बता रहे वक्फ ने जगह खाली करने की डेडलाइन भी दी है। नोटिस के बाद बीजेपी प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की और बातचीत भी की। वक्फ बोर्ड ने दलील दी है कि 1950 से गोविंदपुर गांव हमारे कब्जे में है। यह जमीन हमारी है। 30 दिन में गांव खाली करना होगा। ग्रामीणों ने दलील दी है कि '1910 से हमारे पूर्वजों के नाम पर दस्तावेज हैं। हाईकोर्ट ने भी हमारे पक्ष में फैसला सुनाया है।' देश में वक्फ संपत्ति का हिसाब लगाएं तो 2006 में जहां 1.2 लाख एकड़ वक्फ संपत्ति थी, वहीं 2009 में यह बढ़कर 4 लाख एकड़ हो गई। 2024 में यह बढ़कर 9.4 लाख एकड़ हो गई है।

अब 1995 के वक्फ अधिनियम में क्या है, यह देखें तो कई तरह की वक्फ संपत्ति को मुस्लिम कानून के तहत माना जाता है। वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण के लिए सर्वेक्षण आयुक्तों की नियुक्ति की जाती थी। गजट अधिसूचना के जरिए वक्फ संपत्ति की पहचान की जाती है। वक्फ कमेटी में महिला सदस्यों के लिए कोई जगह नहीं थी। संपत्ति विवाद को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती थी। वक्फ बोर्ड में सिर्फ मुसलमानों को ही अधिकारी बनने का मौका मिलता था। दस्तावेज नहीं होने पर भी किसी भी संपत्ति पर दावा किया जा सकता था। सुन्नी और शिया, दो अलग-अलग वक्फ बोर्ड के लिए जगह दी गई थी। बताया गया है कि वक्फ बोर्ड को 7% टैक्स देना होता था और संपत्ति विवाद का निपटारा वक्फ ट्रिब्यूनल में ही होना चाहिए था।

वहीं केंद्र सरकार द्वारा लाए गए वक्फ संशोधन विधेयक- 2024 में इस्लाम धर्म का पालन करने वाले व्यक्ति के तौर पर माना गया है और महिलाओं को भी तरजीह दी गई है। सर्वेक्षण आयुक्त की भूमिका अब जिलाधिकारी निभाएंगे। वक्फ संपत्ति में पारदर्शिता के लिए केंद्र के पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा। वक्फ कमेटी में महिला सदस्यों की भागीदारी अनिवार्य कर दी गई है। संपत्ति विवाद को अदालत में चुनौती देने की अनुमति दे दी गई है। अब वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को भी जगह मिलेगी। 7. उचित दस्तावेज होने पर ही दावा करने की अनुमति दी जाएगी। अब बोहरा, अगा खानी मुसलमानों के लिए अलग बोर्ड होगा। बताया गया है कि वक्फ बोर्ड को 5% टैक्स देना होगा और ट्रिब्यूनल के आदेश को 90 दिन के भीतर अदालत में चुनौती दी जा सकती है।

वक्फ संपत्ति क्या होती है..?: इस्लाम के अनुसार वक्फ संपत्ति का मतलब है, खुदा की संपत्ति। मुसलमानों द्वारा धार्मिक, शैक्षणिक और दान के उद्देश्य से दी गई संपत्ति। इन संपत्तियों के प्रबंधन का अधिकार राज्य वक्फ बोर्डों के पास होता है। वक्फ बोर्डों को जमीन का अधिग्रहण, रखरखाव और हस्तांतरण करने का भी अधिकार होता है। वक्फ संपत्ति का इस्तेमाल मुसलमानों की समस्याओं के समाधान और समाज सेवा के लिए किया जाना चाहिए। वक्फ संपत्ति के प्रबंधन का अधिकार 'मुतवल्ली' के नाम से धर्मगुरु के पास होगा। देश में 32 वक्फ बोर्ड हैं जो लगभग 200 लोगों के नियंत्रण में हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार में शिया वक्फ बोर्ड हैं।

वक्फ कानून-1995 क्या कहता है..?: वक्फ अधिनियम 1995- 40(3) के तहत वक्फ बोर्डों को विशेष दर्जा दिया गया है। अगर कोई संपत्ति वक्फ बोर्ड की लगती है तो उस पर दावा किया जा सकता है। वक्फ बोर्ड को अगर कोई संपत्ति, जमीन अपनी लगती है तो उसका रजिस्ट्रेशन भी कराया जा सकता है। वक्फ कानून के तहत वक्फ संपत्ति/जमीन के तौर पर रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है। वक्फ को अगर अपनी संपत्ति/जमीन लगती है तो वह दूसरों को रजिस्टर न करने के लिए नोटिस भी दे सकता है। धारा 54 के तहत संपत्ति की जांच वक्फ बोर्ड के सीईओ द्वारा शुरू की जा सकती है। अगर सीईओ को संपत्ति वक्फ की लगती है तो वक्फ ट्रिब्यूनल के जरिए उसे खाली कराने का आदेश भी दिया जा सकता है। 45 दिनों के भीतर अगर मूल मालिक संपत्ति खाली नहीं करते हैं तो उसे अपने कब्जे में लिया जा सकता है। धारा 3 के अनुसार वक्फ संपत्ति को अपने कब्जे में लेने को देश की किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है। वक्फ बोर्ड ट्रिब्यूनल में ही कानून के मुताबिक लड़ाई लड़नी होगी। इसके साथ ही धारा 85 के अनुसार मूल मालिक को खुद ही यह साबित करना होगा कि संपत्ति उसी की है।

 

कर्नाटक में वक्फ घोटाला..!: राज्य में 2 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति का दुरुपयोग हुआ है। प्रभावशाली लोगों ने 29 हजार एकड़ वक्फ जमीन पर कब्जा कर लिया है। मुस्लिम राजनीतिक नेताओं ने ही वक्फ घोटाला किया है। 2012 में अनवर मणिप्पाडी की रिपोर्ट में कहा गया था कि वक्फ जमीन पर कब्जा करके मुस्लिम राजनेताओं ने उसका इस्तेमाल किया है।

 

वक्फ बोर्डों द्वारा भूमि अतिक्रमण:

कोल्हापुर, महाराष्ट्र: मई-2024

महादेव मंदिर की संपत्ति पर वक्फ बोर्ड की नजर। वाडनागे गांव की जमीन पर वक्फ बोर्ड ने किया दावा

सूरत, गुजरात: नवंबर-2021
सूरत नगर निगम कार्यालय पर किया दावा

इरोड, तमिलनाडु: अगस्त 2023
अनंगकौंदन पुथुर गांव की जमीन पर किया दावा

रानीपेट, तमिलनाडु: जनवरी 2023
50 एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि पर किया दावा। आर्कोट के वेयपुर गांव के जमीन मालिकों को नोटिस

तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु: सितंबर 2022
7 गांवों की संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड ने किया दावा। 1500 साल पुराने मंदिर की संपत्ति को भी अपना बताया

गुजरात-2022
गुजरात के तट पर स्थित 2 छोटे द्वीपों पर किया दावा