West Bengal Train Accident: घने कोहरे में नदिया के ताहिरपुर रेलवे ट्रैक पर आखिर क्या हुआ? सुबह-सुबह ट्रेन की चपेट में आकर तीन लोगों की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह हादसा था या लापरवाही? सुरक्षा इंतज़ाम नाकाफी क्यों रहे? जांच जारी है।

कोलकाता। पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के ताहिरपुर ट्रेन हादसे ने शनिवार सुबह पूरे इलाके को हिला कर रख दिया। घने कोहरे के बीच पीएम मोदी की रैली में शामिल होने आए लोग रेलवे ट्रैक पर चलती एक लोकल ट्रेन की चपेट में आ गए। जिनमें 3 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं। यह हादसा उस वक्त हुआ, जब इलाके में दृश्यता बेहद कम थी और ट्रेन पूरी रफ्तार में थी। यह घटना अब सिर्फ एक रेलवे दुर्घटना नहीं रह गई है, बल्कि इसके साथ राजनीतिक आरोप, भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कई गंभीर सवाल भी खड़े हो गए हैं।

घने कोहरे में लोग रेलवे ट्रैक तक कैसे पहुंचे?

स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक, सुबह के वक्त ताहिरपुर रेलवे स्टेशन के पास कोहरा इतना घना था कि कुछ भी साफ दिखाई नहीं दे रहा था। इसी दौरान कुछ लोग रेलवे ट्रैक के पास मौजूद थे और तभी ट्रेन नंबर 31814 (कृष्णानगर–सियालदह लोकल) वहां से गुजरी। ट्रेन की चपेट में आने से तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।

क्या ये लोग किसी रैली में शामिल होने आए थे?

सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में दावा किया जा रहा है कि ये लोग राणाघाट में आयोजित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में शामिल होने के लिए दूसरे जिलों से लाए गए थे। आरोप है कि रैली स्थल रेलवे लाइन के बेहद पास था और शौच के लिए गए कुछ लोग ट्रेन की चपेट में आ गए। हालांकि, प्रशासन की ओर से अभी तक इस दावे की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।

भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल क्यों?

घटना के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि इतनी बड़ी राजनीतिक रैली के दौरान सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन के पुख्ता इंतज़ाम क्यों नहीं थे। क्या रेलवे ट्रैक के आसपास बैरिकेडिंग थी? क्या लोगों को खतरनाक इलाके से दूर रखने के निर्देश दिए गए थे? इन सवालों के जवाब फिलहाल साफ नहीं हैं।

हादसे के बाद भी कार्यक्रम क्यों जारी रहा?

आरोप लगाने वालों का कहना है कि हादसे की जानकारी के बावजूद रैली को नहीं रोका गया। यही वजह है कि यह मामला अब राजनीतिक विवाद का रूप ले चुका है। विपक्ष ने इसे “लापरवाही” और “आम लोगों की ज़िंदगी से खिलवाड़” करार दिया है।

प्रशासन और रेलवे की भूमिका क्या रही?

रेलवे और जिला प्रशासन का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है। घायलों को कृष्णानगर अस्पताल में भर्ती कराया गया है और हादसे की पूरी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। अधिकारियों का दावा है कि घना कोहरा इस दुर्घटना की बड़ी वजह हो सकता है, लेकिन सभी पहलुओं की जांच होगी।

क्या यह हादसा टाला जा सकता था?

अगर बेहतर योजना, सुरक्षा घेरा और स्पष्ट निर्देश होते, तो क्या तीन लोगों की जान बचाई जा सकती थी? यही सवाल इस हादसे को रहस्यमय और संवेदनशील बना देता है। नदिया का यह ट्रेन हादसा सिर्फ आंकड़ों की खबर नहीं है। यह सुरक्षा, प्रशासनिक तैयारी और राजनीतिक आयोजनों की ज़िम्मेदारी पर सीधा सवाल है। अब देखना होगा कि जांच में क्या सामने आता है और ज़िम्मेदारी किस पर तय होती है।