सार

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग(National Human Rights Commission of India-NHRC) ने जुलाई में एक विस्तृत रिपोर्ट बनाकर हाईकोर्ट को सौंपी थी। इस रिपोर्ट में जिलेवार हिंसा की शिकायतों की संख्या भी है। 

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में हुई चुनाव बाद हिंसा में सीबीआई ने पहली चार्जशीट दाखिल कर दी है। सीबीआई ने बंगाल के बीरभूमि जिले में हुई हिंसा का आरोप पत्र दायर किया है। बड़े अपराधों की जांच के लिए कोलकाता हाईकोर्ट ने सीबीआई को जांच सौंपी थी। 
मपुरहाट अदालत के समक्ष प्रस्तुत चार्जशीट में दो मई को विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद कथित रूप से हुई हिंसा में एक भाजपा कार्यकर्ता की हत्या हो गई थी, इस हत्याकांड में पुलिस ने दो लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। 

जांच शुरू करते ही 9 एफआईआर दर्ज किए थे 

पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा के मामले में सीबीआई ने ताबड़तोड़ 9 FIR दर्ज किए थे। सीबीआई की चार स्पेशल यूनिट्स हिंसा की जांच के लिए राज्य में घटनास्थल का जायजा ली थी। 

कलकत्ता हाईकोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने अगस्त महीने में पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनावों के बाद कथित दुष्कर्म और हत्या के मामलों की जांच सीबीआई से कराने का फैसला सुनाया था। 

हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई सक्रिय हो गई थी। आदेश के बाद सीबीआई ने हिंसा के मामलों की जांच के लिए अलग-अलग जोन में बांटकर काम मोर्चा संभाल लिया था। हर जोन में इन्वेस्टिगेशन संयुक्त निदेश स्तर के एक अधिकारी संभाल रहे हैं। सीबीआई ने राज्य में कुल चार टीमों को तैनात किया है, जिसे चार जोन में बांटा गया है। 

हाईकोर्ट की निगरानी में एसआईटी भी है गठित

दरअसल, पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा के मामलों में हत्या और रेप जैसी क्राइम की जांच के लिए सीबीआई को कोर्ट ने आदेश दिया है। जबकि अन्य गंभीर मामलों के लिए कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच करेगी। 

कोर्ट ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को भी सीबीआई की मदद करने के लिए कहा था। एसआईटी में पश्चिम बंगाल कैडर के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी (आईपीएस) सुमन बाला साहू, सोमेन मित्रा और रणवीर कुमार को शामिल किया गया है। 

जुलाई में इस मामले में सौंपी गई थी हाईकोर्ट को रिपोर्ट

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग(National Human Rights Commission of India-NHRC) ने जुलाई में एक विस्तृत रिपोर्ट बनाकर हाईकोर्ट को सौंपी थी। इस रिपोर्ट में जिलेवार हिंसा की शिकायतों की संख्या भी है। आंकड़ों पर अगर गौर करें तो चुनाव बाद कूच बिहार सबसे अधिक हिंसाग्रस्त रहा। जबकि दार्जिलिंग सबसे सुरक्षित साबित हुई। कूच बिहार के बाद बीरभूम भी काफी अधिक प्रभावित हुआ। 

रिपोर्ट के अनुसार कूचबिहार में 322 हिंसा के मामले, बीरभूम में 314, दक्षिण 24 परगना में 203, उत्तर 24 परगना में 198, कोलकाता में 182 और पूर्वी बर्दवान में 113 हिंसा के मामले सामने आए हैं। 

29 मर्डर, 12 रेप, 940 आगजनी

जांच कमेटी ने जो रिपोर्ट सौंपी है उसके अनुसार मनुष्य वध या हत्या के 29 केस पुलिस ने दर्ज किए हैं। जबकि 12 केस महिलाओं से छेड़छाड़ व रेप के हैं। 391 मामलों में 388 केस पुलिस ने गंभीर रूप से घायल किए जाने संबंधित दर्ज किए हैं जबकि 940 लूट-आगजनी-तोड़फोड़ की शिकायतों में 609 एफआईआर दर्ज किए जा सके। धमकी, आपराधिक वारदात को अंजाम देने के लिए डराने संबंधित 562 शिकायतों में महज 130 शिकायतें ही एफआईआर बुक में आ सकी हैं। चुनाव बाद हिंसा की पुलिस के पास कुल 1934 शिकायतें गई जिसमें 1168 केस ही दर्ज किया गया।