सार

बुधवार रात को आसमान में एक अद्भुत नजारा दिखने वाला है। दरअसल, बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर 13 जुलाई की रात सुपरमून दिखेगा। इस दौरान चंद्रमा आकाश में अपनी सारी कलाएं बिखेरता नजर आएगा। बता दें कि सुपरमून एक खगोलीय घटना है, जिसमें चांद, धरती के सबसे ज्यादा करीब आ जाता है।

What is Supermoon: 13 जुलाई, 2022 यानी बुधवार रात को आसमान में एक अद्भुत नजारा दिखने वाला है। दरअसल, बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर आज सुपरमून दिखने वाला है। इस दौरान चंद्रमा आकाश में अपनी सारी कलाएं बिखेरता नजर आएगा। बता दें कि सुपरमून एक खगोलीय घटना है, जिसमें चांद, धरती के सबसे नजदीक आ जाता है। यही वजह है कि सुपरमून के दौरान चंद्रमा धरती से देखने पर आम दिनों से कहीं ज्यादा चमकदार और बड़ा दिखाई देता है। 

जानें कब देख सकेंगे सुपरमून : 
नासा की रिपोर्ट के अनुसार, सुपरमून सिर्फ पूर्णिमा के दिन ही नहीं, बल्कि 2 से 3 दिनों तक देखा जा सकेगा। भारतीय समय के मुताबिक, सुपरमून की स्थिति 13 जुलाई को रात 12 बजकर 8 मिनट पर बनेगी। अगर आसमान साफ रहता है तो इसे अगले तीन दिनों तक देखा जा सकेगा। 

2023 में फिर दिखेगा सुपरमून : 
इस साल के अलावा 2023 में भी सुपरमून देखा जा सकेगा। तब इसे 3 जुलाई को लोग देख पाएंगे। बता दें कि 13 जुलाई को दिखने वाले सुपरमून को 'बक मून' नाम दिया गया है। इस नाम को देने के पीछे वजह ये है कि ये एक हिरण के नाम पर है। कहा जाता है कि इस सीजन में हिरण के सिर पर नए सींग उगते हैं, इसलिए सुपरमून को बक मून नाम दिया गया है। 

क्या होता है सुपरमून (What is Supermoon):
सुपरमून की स्थिति तब बनती है, जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे ज्यादा करीब होता है। एक साल में कई बार 3 से 4 बार सुपरमून की स्थिति बनती है। बता दें कि 13 जुलाई को चंद्रमा धरती से करीब 3,57,264 किलोमीटर की दूरी पर होगा। वैसे, सामान्य तौर पर धरती से चंद्रमा की दूरी 3,84,400 किलोमीटर होती है, लेकिन सुपरमून के दिन यह कम हो जाती है। सुपरमून को डियर मून और थंडर मून भी कहते हैं। सुपरमून का नाम सबसे पहले 1979 में एस्ट्रोलॉजर रिचर्ड नोल ने रखा था। 

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