सार
रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 8 महीने से चल रहे युद्ध के बीच इंडोनशिया के बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन होने जा रहा है। इसके लिए दुनियाभर के 20 ताकतवर देशों के राष्ट्राध्यक्ष यहां इकट्ठा हो रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 45 घंटे के स्पेशल दौरे पर इंडोनेशिया (Indonesia) रवाना हो चुके हैं।
G-20 Summitt 2022: रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 8 महीने से चल रहे युद्ध के बीच इंडोनशिया के बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन होने जा रहा है। इसके लिए दुनियाभर के 20 ताकतवर देशों के राष्ट्राध्यक्ष यहां इकट्ठा हो रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 45 घंटे के स्पेशल दौरे पर इंडोनेशिया (Indonesia) रवाना हो चुके हैं। बता दें कि जी-20 देशों के सम्मेलन में भारत की अहम भूमिका होगी। बता दें कि इससे पहले जब SCO मीटिंग में मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की थी तो उन्होंने साफ कहा था कि आज का युग युद्ध का नहीं है।
क्या है जी-20 ?
जी-20 उन ताकतवर देशों का समूह है, जिनकी इकोनॉमी दुनिया में टॉप पर है। जी-20 समूह का मुख्य काम सभी देशों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है। बता दें कि इस ग्रुप में शामिल होने वाले देशों की कुल जीडीपी दुनिया भर के कुल देशों की 80% है। जी-20 के सभी देश वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ ही आर्थिक स्थिरता, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा करते हैं।
जी-20 में कौन-कौन से देश?
जी-20 में फ्रांस, इटली, जर्मनी, कोरिया, भारत, मेक्सिको, रुस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, अर्जेंटीना, तुर्की, ब्रिटेन, जापान, अमेरिका और यूरोपीय यूनियन शामिल हैं। बता दें कि पूरी दुनिया की 60% आबादी इन्हीं 20 देशों में रहती है।
दुनिया के 9 परमाणु संपन्न देशों में 6 जी-20 के मेंबर?
बता दें कि जी-20 देशों की स्थापना 23 साल पहले 26 सितंबर, 1999 को हुई थी। दुनिया के 9 परमाणु हथियार संपन्न देशों में से 6 जी-20 के मेंबर हैं। इनमें रूस, अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, भारत और चीन जैसे देश शामिल हैं।
रूस पर क्या हो सकता है भारत का रुख?
बता दें कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश रूस को घेरने की तमाम कोशिशें कर रहे हैं। यही वजह है कि यूक्रेन संकट को लेकर संयुक्त राष्ट्र (UN) में रूस के खिलाफ कई प्रस्ताव भी लाए जा चुके हैं। हालांकि, भारत ने हमेशा ही इनसे दूरी बनाए रखी और खुद को तटस्थ देश के रूप में किसी को सपोर्ट नहीं किया। ऐसे में माना जा रहा है कि आगे भी रूस को लेकर भारत का रवैया तटस्थ वाला ही होगा। रूस हमेशा से भारत का एक अच्छा दोस्त रहा है, ऐसे में भारत कभी नहीं चाहेगा कि वो उसे नाराज करे।
अमेरिका और सहयोगी करेंगे रूस को घेरने की कोशिश :
बता दें कि जी-20 शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन युद्ध सबसे बड़ा मुद्दा होगा। इसके साथ ही चीन के साथ पश्चिमी देशों के बीच बढ़ रही टेंशन भी चर्चा के केंद्र में रहेगी। माना जा रहा है कि अमेरिका के साथ ही यूरोपियन देश फ्रांस, ब्रिटेन मिलकर यूक्रेन के मामले में रूस को घेरने की पुरजोर कोशिश करेंगे। खासकर इस जंग के चलते पैदा हुए खाद्यान्न और ऊर्जा संकट के लिए पुतिन और उनकी सेना को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। ऐसे में भारत का क्या रुख होगा, सबकी नजरें इसी पर टिकी रहेंगी।
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