सार

मोदी कैबिनेट ने मंगलवार को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR) को अपडेट करने की मंजूरी दे दी। नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर हो रहे विरोध के बीच विपक्ष ने NPR को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं।

नई दिल्ली. मोदी कैबिनेट ने मंगलवार को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR) को अपडेट करने की मंजूरी दे दी। नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर हो रहे विरोध के बीच विपक्ष ने NPR को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। एनपीआर अपडेट करने का काम अगली साल अप्रैल से शुरू हो जाएगा। जानें इससे जुड़े 5 सवाल।

1- क्या है  NPR? 
एनपीआर का पूरा नाम नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर है। नाम से ही जाहिर है कि इसमें पॉपुलेशन को लेकर रिकॉर्ड बनाए जाएंगे। एनपीआर के तहत 1 अप्रैल 2020 से 30 सितंबर 2020 तक नागरिकों का डेटाबेस तैयार करने के लिए देश में घर-घर जाकर जनगणना की जाएगी। एनपीआर में दर्ज जानकारी लोगों द्वारा खुद दी गई सूचना पर आधारित होगी।

NRIC क्या है? 
NPR के बीच एक शब्द NRIC भी चर्चा में है। नेशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटीजन्स का मतलब भारत के सभी नागरिक चाहें वे देश में हो या भारत में, इसमें सबका विवरण होगा। 

2- क्या है NPR का मकसद?
जनसंख्या रजिस्टर या एनपीआर का मतलब है कि इसमें किसी गांव या कस्बे से लेकर शहरी क्षेत्र तक सभी लोगों का विवरण शामिल होगा। इसका मकसद देश में रह रहे नागरिकों का समग्र डेटाबेस तैयार करना है। यह डेटाबेस जनसांख्यिकीय और बायोमीट्रिक आधार पर तैयार होगा। 

3- NPR और NRC में क्या अंतर है?
NPR और एनआरसी दोनों अलग अलग हैं। NPR के जरिए भारत में रहने वाली जनसंख्या का डाटाबेस तैयार करना है। इसके लिए किसी भी दस्तावेज देने की जरूरत नहीं है। जनता द्वारा जो जानकारी दी जाएगी, उससे ही डाटा तैयार किया जाएगा। 

NRC: एनआरसी का मतलब है राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर। इसे सबसे पहले असम में लागू किया है। इसका मकसद भारत में रह रहे अवैध नागरिकों की पहचान करना है। 

4- इससे पहले कब NPR अपडेट को किया गया? 
NPR सबसे पहले 2010 में यूपीए 2 के शासन में लाया गया था। पूर्व मुख्यमंत्री मनमोहन सिंह ने इसकी शुरुआत की थी। इसे 2015 में अपडेट किया गया था। अब इसे 2020 में अपडेट किया जाएगा। सरकार का कहना है कि हर 10 साल बाद इसे अपडेट किया जाएगा। 

5- NPR अपडेट में कितना खर्च होगा?
सरकार के मुताबिक, असम को छोड़कर देश की सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अप्रैल से सितंबर 2020 तक जनगणना के आंकड़े जुटाए जाएंगे। इसी दौरान एनपीआर को भी अपडेट किया जाएगा। इसके लिए सरकार ने 3,941 करोड़ रुपए जारी किए हैं।