सार

रुस्तम-ए-हिंद के नाम से मशहूर गामा पहलवान का आज 144वां जन्मदिन है। गामा का असली नाम गुलाम मोहम्मद बख्श था, लेकिन रिंग में उन्हेंं द ग्रेट गामा के नाम से जाना जाता था। गामा ने अपनी जिंदगी में कभी कोई फाइट नहीं हारी। 

Gama Pehalwan Birthday: भारत के महान पहलवान और रुस्तम-ए-हिंद के नाम से मशहूर गामा पहलवान का आज (22 मई) जन्मदिन है। गामा पहलवान का जन्म 1978 में अमृतसर के पास जब्बोवाल में हुआ था। उनके पिता मोहम्मद अजीज बख्श भी पहलवान थे। बता दें कि गामा का असली नाम गुलाम मोहम्मद बख्श था। लेकिन रिंग में उन्हें 'द ग्रेट गामा' के नाम से बुलाते थे। 

कभी कोई कुश्ती नहीं हारे गामा : 
गामा पहलवान का नाम उन लोगों में शुमार है, जिन्होंने अपनी जीवन में कभी कोई कुश्ती नहीं हारी। यहां तक कि ब्रूस ली भी गामा से प्रभावित थे। गामा के पिता मुहम्मद अजीज बक्श भी पहलवान थे। उनकी मौत के बाद दतिया के महराज ने गामा को पेशेवर पहलवान बनाने के लिए अपने पास रख लिया था। 

ऐसे मिली गामा को पहचान : 
गामा का मुकाबला 1895 में देश के सबसे बड़े पहलवान रहीम बख्श सुल्तानीवाला से हुआ था। रहीम बख्श की हाइट 6 फीट 9 इंच थी, जबकि गामा पहलवान केवल 5 फीट 7 इंच के थे। इस मुकाबले रहीम बख्श गामा से जीत नहीं पाए और मुकाबला बराबरी का रहा। इसके बाद तो गामा पूरे देश में मशहूर हो गए।

दिन में 5 हजार उठक-बैठक लगाते थे गामा : 
गामा पहलवान दिन में 5000 उठक-बैठक और 1 हजार से ज्यादा दंड लगाते थे। इसके अलावा उनकी डाइट भी सबसे अलग थी। गामा पहलवान को लेकर कहा जाता है कि वो 80 किलो वजनी हंसली को गले में पहन कर उठक-बैठक लगाते थे। इसके साथ ही वो जिस डंबल को उठाते थे, उसे उठा पाना आम आदमी के बस की बात नहीं थी। 

ऐसी थी गामा पहलवान की डाइट : 
गामा पहलवान खाने में 6 देसी चिकन, 10 लीटर दूध, आधा किलो घी और सवा किलो बादाम लेते थे। बता दें कि उनकी खुराक का खर्च राजा भवानी सिंह उठाते थे। गामा ने 10 साल की उम्र में ही पहलवानी शुरू कर दी थी। जोधपुर में एक कुश्ती प्रतियोगिता हुई थी, जिसमें देश भर के कई नामी-गिरामी पहलवानों ने हिस्सा लिया था। गामा पहलवान इस प्रतियोगिता में महज 10 साल की उम्र में भाग लेने पहुंचे थे।  

1910 में विदेशी पहलवानों को ललकारा : 
1910 तक गामा ने भारतीय रेसलर्स को हराने के बाद विदेशी पहलवानों को ललकारा। उन्होंने ब्रिटेन में विदेशी पहलवानों को धूल चटाने की चुनौती दी।  गामा ने ब्रिटेन के बड़े पहलवानों में शामिल स्टैनिसलॉस जेविस्को और फ्रेंक गॉच को साढ़े 9 मिनट में हराने की चुनौती दी। इसके बाद स्टैनिसलॉस ने गामा की चुनौती स्वीकार की और 10 सितंबर 1910 को दोनों के बीच मुकाबला हुआ। गामा ने पहले ही मिनट में जैविस्को को पटक दिया। इसके बाद 19 सितंबर को दोबारा मुकाबला शुरू हुआ लेकिन जेविस्को अखाड़े में ही नहीं आया। 

ये थी गामा पहलवान की आखिरी फाइट : 
गामा ने अपनी आखिरी फाइट 1927 में लड़ी। इसमें उनका मुकाबला स्वीडन के पहलवान जेस पीटरसन से था। गामा ने इसमें पीटरसन को हरा दिया। हालांकि, इसके बाद उन्होंने कुश्ती छोड़ दी। गामा ने अपनी लाइफ में देश-विइेश में करीब 50 से ज्यादा पहलवानों को चित किया। वो कभी नहीं हारे। पूरी दुनिया में गामा पहलवान को कोई हरा नहीं पाया, जिसके चलते उन्हें वर्ल्ड चैम्पियन कहा जाता है। बता दें कि 1947 में जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो वो अपनी फैमिली के साथ लाहौर चले गए। 23 मई, 1960 को लाहौर में ही उन्होंने अंतिम सांस ली। 

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