मौलाना महमूद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट पर BJP के दबाव में काम करने का आरोप लगाया है। उन्होंने जिहाद, बाबरी मस्जिद, तीन तलाक और घर वापसी जैसे मुद्दों को लेकर भी देश की सर्वोच्च न्यायालय पर सवाल उठाए हैं। मदनी जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख हैं।  

Who is Maulana Mahmood Madani: जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने बाबरी मस्जिद, तीन तलाक, जिहाद और ‘घर वापसी’ जैसे मुद्दों पर अपनी टिप्पणियों से एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। मदनी ने देश के सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट पर भी सवाल खड़े किए हैं। उनके हालिया बयानों से राजनीतिक माहौल एक बार फिर गरमा गया है। आखिर कौन हैं मौलाना मदनी और सुप्रीम कोर्ट को लेकर क्या बोले, जानते हैं।

बीजेपी के दबाव में काम कर रही सुप्रीम कोर्ट- मदनी

मौलाना महमूद मदनी ने शनिवार को भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम में आरोप लगाया कि देश का सुप्रीम कोर्ट BJP की केंद्र सरकार के दबाव में काम कर रहा है। उन्होंने बाबरी मस्जिद और तीन तलाक जैसे फैसलों का जिक्र किया। उन्होंने कहा, "बाबरी मस्जिद, तीन तलाक और कई दूसरे मामलों में फैसले के बाद, ऐसा लगता है कि कोर्ट कुछ सालों से सरकार के दबाव में काम कर रही है। हमारे पास पहले भी कई ऐसे उदाहरण हैं जिनसे कोर्ट के कैरेक्टर पर सवाल उठे हैं।

सुप्रीम कोर्ट को तभी कहा जाएगा 'सुप्रीम'

मदनी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट तभी सुप्रीम कहलाने के लायक है, जब वह संविधान को माने और कानून को बनाए रखे। अगर वह ऐसा नहीं करता है, तो वह 'सुप्रीम' कहलाने के लायक नहीं है।" इसके अलावा, उन्होंने "लव जिहाद, लैंड जिहाद, 'तालीम' जिहाद, 'थूक जिहाद' जैसे शब्दों के बढ़ते इस्तेमाल का हवाला देते हुए कहा, "जिहाद" एक पवित्र शब्द है। इसका इस्तेमाल इस्लामी पवित्र किताब कुरान में जुल्म और हिंसा को खत्म करने के लिए किया गया है।

जब-जब जुल्म होगा, तब-तब जिहाद होगा

मदनी ने कहा, "इस्लाम और मुसलमानों के दुश्मनों ने 'जिहाद' को एक गाली, लड़ाई और हिंसा का मतलब बना दिया है। लव जिहाद, लैंड जिहाद, 'तालीम' जिहाद, 'थूक' जिहाद जैसे शब्दों का इस्तेमाल मुसलमानों की आस्था का अपमान करने के लिए किया जाता है। यह दुख की बात है कि सरकार और मीडिया में जिम्मेदार लोग ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करने में कोई शर्म महसूस नहीं करते। इस्लाम में, कुरान में 'जिहाद' का इस्तेमाल कई तरह से किया गया है। इसका इस्तेमाल किसी के कर्तव्य, समाज और इंसानियत की भलाई के लिए किया गया है। जब इसका इस्तेमाल युद्ध के लिए किया गया है, तो इसके मायने जुल्म और हिंसा को खत्म करने से है। इस्लिये जब जब ज़ुल्म होगा, तब तब जिहाद होगा।"

मौलाना मदनी के बयान से कौन सहमत, कौन नहीं?

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के चीफ, मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने मदनी को सुप्रीम कोर्ट, पार्लियामेंट और सरकार पर कमेंट करने से बचने की सलाह दी, क्योंकि करोड़ों मुसलमान इन संस्थाओं पर भरोसा करते हैं। उन्होंने कहा, सिर्फ मैं ही नहीं, बल्कि भारत के करोड़ों मुसलमान उनके बयान से सहमत नहीं हैं। मौलाना महमूद मदनी एक मजहबी आदमी हैं। उन्हें उसी नजरिए से बात करनी चाहिए। उन्हें मुसलमानों को भड़काना नहीं चाहिए। करोड़ों मुसलमान सुप्रीम कोर्ट, पार्लियामेंट और सरकार पर भरोसा करते हैं।

बीजेपी-विहिप ने क्या कहा?

BJP के मनोज तिवारी ने मदनी के बयानों की आलोचना करते हुए कहा, "अगर दुनिया में कोई ऐसी जगह है जहां हमारे मुस्लिम समुदाय के भाई-बहन सबसे सुरक्षित हैं, तो वह भारत है।" वहीं, विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने भी बयान की निंदा करते हुए कहा, मदनी ने सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को सुप्रीम होना चाहिए और उसे सुप्रीम काम भी करना चाहिए। क्या वह इसके लिए उन्हें सर्टिफिकेट देंगे?

मौलाना महमूद मदनी कौन हैं?

मौलाना महमूद मदनी देश के सबसे पुराने मुस्लिम संगठनों में से एक, जमीयत उलेमा-ए-हिंद (JUH) के मौजूदा नेशनल प्रेसिडेंट हैं। 1964 में जन्मे महमूद मौलाना सैयद हुसैन अहमद मदनी के पोते हैं। उनके पिता, मौलाना असद मदनी, JUH में एक अहम ताकत थे और उन्होंने लगभग 17 साल तक राज्यसभा में काम किया। 1992 में दारुल उलूम देवबंद में इस्लामिक धर्मशास्त्र की पढ़ाई पूरी करने के बाद महमूद मदनी ने JUH के साथ काम करना शुरू किया। 2001 में वो इसके जनरल सेक्रेटरी बने और 2006 से 2012 तक राज्यसभा MP रहे।