सार

महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन के बीच एनसीपी और कांग्रेस ने सरकार बनाने को लेकर रणनीति तेज कर दी है। दोनों पार्टियां शिवसेना के साथ सरकार बनाने के लिए मन बना चुकी हैं। 

मुंबई. महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन के बीच एनसीपी और कांग्रेस ने सरकार बनाने को लेकर रणनीति तेज कर दी है। दोनों पार्टियां शिवसेना के साथ सरकार बनाने के लिए मन बना चुकी हैं। लेकिन खुद को सेक्युलर पार्टी बताने वाली कांग्रेस हार्ड हिंदुत्व वाली शिवसेना के साथ आने के लिए कैसे तैयार हो गई, इसके पीछे महाराष्ट्र कांग्रेस नेताओं की चेतावनी है, जिससे कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी समर्थन देने के लिए तैयार हुईं।

दरअसल, महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं ने एकमत में सोनिया गांधी को चेतावनी दी कि अगर हम सरकार नहीं बनाते तो राज्य में पार्टी खत्म हो जाएगी। कांग्रेस के भीतर दो दिन चलीं मैराथन बैठकों के बाद सोनिया गांधी ने शिवसेना को लेकर हामी भरी। 

कैसे तैयार हुईं सोनिया गांधी? 
- सोनिया गांधी भी एके एंटनी, मुकुल वास्निक, शिवराज पाटिल से सहमत थीं, जो हार्ड हिंदुत्व वाली पार्टी शिवसेना के साथ गठबंधन का विरोध कर रहे थे। ये नेता अलग विचारधारा के चलते गठबंधन के विरोध में थे। 
- लेकिन महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं ने कहा- अगर हम भाजपा-शिवसेना के गठबंधन टूटने का फायदा नहीं उठाते और सरकार में शामिल नहीं होते तो पार्टी राज्य में खत्म हो जाएगी। 
- इसके बाद सोनिया गांधी ने शरद पवार से बाद की। उन्होंने 3 नेताओं को मुंबई भेजकर एनसीपी से बात करने के लिए कहा। 
- कांग्रेस इस मामले में कॉमन मिनिमम प्रोगाम पर आगे जाना चाहती है। पहले कांग्रेस और एनसीपी आपस में इस बारे में स्पष्ट बात करना चाहते हैं।

गठबंधन टूटने के मौके को भुनाना चाहिए- महाराष्ट्र कांग्रेस
महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता अशोक चाह्वाण, पृथ्वीराज चाह्वाण, बालासाहेब थोराट, मानिक राव ठाकरे, रजनी पाटिल ने जोर देकर कहा कि हमें भगवा पार्टियों के गठबंधन टूटने के मौके को भुनाना चाहिए। पार्टी के विधायक भी सरकार का हिस्सा बनने पर जोर दे रहे थे। उनका कहना था कि वे अपने दम पर जीत कर आए हैं। कांग्रेस ने अपने विधायकों को हॉर्स ट्रेडिंग के डर से जयपुर में शिफ्ट किया है। 

शिवसेना के समर्थन पर इन नेताओं ने जताई आपत्ति
हालांकि, कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता एके एंटनी, मुकुल वास्निक, पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल शिवसेना को समर्थन देने के खिलाफ थे। ये नेता विचारधारा को लेकर हार्ड हिंदुत्व वाली पार्टी शिवसेना के साथ गठबंधन का विरोध कर रहे थे। इस दौरान केसी वेणुगोपाल ने कर्नाटक में जेडीएस के साथ गठबंधन फेल होने का भी जिक्र किया। इसलिए वेणुगोपाल और एके एंटनी मंगलवार को दोबारा सोनिया गांधी से बात करने पहुंचे थे। 
 
यहां तक की एक जगह पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चाह्वाण से उन संभावनाओं को लेकर भी सवाल किया गया, कि क्या सांप्रदायिक शिवसेना के साथ गठबंधन से पार्टी को अल्पसंख्यकों का नुकसान नहीं होगा।  
 
सोनिया ने की शरद पवार से बात 
इन सब के बीच, सोनिया गांधी जो खुद इस गठबंधन के विरोध में थीं, उन्होंने राज्य के नेताओं की चेतावनी पर ध्यान दिया। उन्होंने इसके बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार से बात की। शरद पवार ने ही सोनिया को अभी मामला टालने के लिए कहा। उनका कहना था कि अभी इस पर ज्यादा बात नहीं हुई।  
 
जहां एक ओर राज्य के नेता गठबंधन के लिए दबाव डाल रहे थे वहीं, शरद पवार ने कहा कि अभी बातें स्पष्ट नहीं हुईं। इसके बाद सोनिया गांधी ने एनसीपी नेताओं से बातचीत के लिए तीन पदाधिकारियों को मुंबई भेजे का फैसला किया।