सार

चुनाव कानून संशोधन विधेयक 2021(Election Laws Amendment bill 2021) 21 दिसंबर को राज्यसभा में पास हो गया। इसे 20 दिसंबर को लोकसभा (Lok sabha) में  पास कर दिया गया था। कांग्रेस इसके विरोध में है, जबकि सरकार का मानना है कि इससे फर्जी वोटिंग रुकेगी। इस कानून के तहत वोटर  ID को आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा।

नई दिल्ली. वोटर ID को आधार कार्ड से जोड़ने वाला महत्वपूर्ण चुनाव कानून संशोधन विधेयक 2021(Election Laws Amendment bill 2021) आज राज्यसभा में पास हो गया। कल 20 दिसंबर को लोकसभा (Lok sabha) में  यह पास हो चुका है। कांग्रेस इसके विरोध में है, जबकि सरकार का मानना है कि इससे फर्जी वोटिंग रुकेगी। कांग्रेस ने अपने सभी राज्यसभा सांसदों को सदन में मौजूद रहने का व्हिप जारी किया था। इसमें कहा गया था कि सदन में महत्वपूर्ण मुद्दों पर पार्टी के स्टैंड को समर्थन देने के लिए सभी सांसद मौजूद रहें। इससे पहले बीजेपी की  संसदीय दल की बैठक अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में हुई।

पहले उठाई मांग, अब विरोध

पहले कांग्रेस और NCP ने खुद वोटर आइडी को आधार से लिंक कराने पर अड़ी हुई थी। 3 जुलाई, 2019 में नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी(NCP) ने इसे लेकर सुझाव दिया था, जिस पर महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सहमति दी थी।

वहीं, मध्य प्रदेश में 2018 में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस मप्र के मुख्य चुनाव आयुक्त से मिला था। तब कांग्रेस के प्रवक्ता रवि सक्सेना ने वोटर आइडी को आधार से लिंक कराने की मांग उठाई थी। ज्ञापन में कहा गया था कि हर विधानसभा क्षेत्र में करीब 7000 से 80000 तक फेक वोटर हैं। 

सबसे बड़ी बात; 27 अक्टूबर, 2018 को भारत के चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के साथ एक मीटिंग की थी। इसमें तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त ओमप्रकाश रावत (Om Prakash Rawat) और अधिकारियों ने पार्टी के प्रमुख नेताओं से चुनाव प्रक्रिया को और बेहतर बनाने की दिशा में चर्चा की थी। तब भी राजनीतिक दलों ने वोटर आइडी को आधार से जोड़ने की पुरजोर वकालात की थी।

सत्र के दौरान घटनाक्रम

 

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री, स्मृति ईरानी ने लोकसभा में बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021 पेश किया। विधेयक में महिलाओं की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रावधान है।

लोकसभा और राज्यसभा में विपक्षी सांसदों ने लखीमपुर खीरी मामले पर गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को निलंबित करने की मांग को लेकर संसद में गांधी प्रतिमा से विजय चौक तक मार्च निकाला। इस मौके पर राहुल गांधी ने कहा- हम उन्हें नहीं बख्शेंगे; आज नहीं तो कल जेल भेजा जाएगा।

संसद में कल आयोजित हुई राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक के बहिष्कार के मुद्दे को लेकर विपक्ष के हंगामे के बीच राज्यसभा दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित हुई।

कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा
राज्यसभा में कांग्रेस के लीडर जयराम नरेश ने इस पत्र लिखकर अपने सांसदों से कहा था कि वे मंगलवार को 11 बजे से सदन स्थगित होने तक राज्यसभा में मौजूद रहें। कांग्रेस चाहती है कि यह विधेयक स्टैंडिंग कमेटी को भेजा जाना चाहिए। जबकि कल लोकसभा में केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू(Kiren Rijiju) ने कहा था कि इससे चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी दूर होंगी। हालांकि आधार संख्या को वोटर लिस्ट से जोड़ना अनिवार्य नहीं बनाया गया है। यह स्वैच्छिक होगा। किरेन रिजिजू ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि यह संशोधन बिल भारत के चुनाव आयोग और संसद की स्टैंडिंग कमेटी की सिफारिशों पर आधारित है। विधेयक को सदन में पेश करते हुए रिजिजू ने कहा कि कोई भी वयस्‍क व्यक्ति एक जनवरी, एक अप्रैल, एक जुलाई और एक अक्‍टूबर को मतदाता के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन करा सकेगा। 

यह हैं बिल में महत्वपूर्ण बदलाव
वोटर आईडी को आधार से जोड़ा जाएगा। यह स्वैच्छिक है। वोटर रजिस्ट्रेशन के लिए एक साल में 4 मौके दिए जाएंगे। महिला सैनिकों के पतियों को भी सर्विस वोटर का दर्जा मिलेगा। चुनाव आयोग को  अधिकार मिलेगा कि वे चुनाव संचालन के लिए किसी भी परिसर को चुनावों तक अधिगृहित कर सकते हैं। विपक्ष का कहना है कि इससे नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन होगा। निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा। निजता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन होगा। सरकार कुछ लोगों के लीगल अधिकार छीन लेगी। सरकार के पास नागरिकों की सारी जानकारी आ जाएंगी। चूंकि आधार और वोटर आईडी का इस्तेमाल अलग है, इसलिए इसे जोड़ नहीं सकते हैं।


विधेयक के विरोध में किसने क्या कहा 
तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने आरोप लगाया कि सरकार और मंत्री लोकतंत्र और संसदीय नियमों के खिलाफ काम कर रहे हैं। 

शिवसेना के विनायक राउत ने कहा कि इसे जल्दबाजी में पारित करना ठीक नहीं है। इस पर बहस होनी चाहिए। 

तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि इस विधेयक में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन किया गया है और यह मौलिक अधिकारों के खिलाफ है। 

एनसीपी की सुप्रिया सुले ने कहा कि सरकार इस विधेयक को वापस ले और समग्र विधेयक लाए। महिला आरक्षण का विधेयक भी इसके साथ लेकर आए जिसके बाद सब इसका समर्थन करेंगे। 

बसपा के रितेश पांडेय ने कहा कि संसदीय प्रक्रिया को दरकिनार किया जा रहा है और इस विधेयक को वापस लेना चाहिए। 

बीजद के अनुभव मोहंती ने कहा कि पूरी चर्चा के बाद विधेयक को पारित किया जाना चाहिए था। 

कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि इस प्रकार का विधेयक लाना सरकारी की विधायी क्षमता से परे है। इसके अलावा आधार कानून में भी कहा गया है कि इस प्रकार से आधार को नहीं जोड़ा जा सकता है।

कांग्रेस के शशि थरूर ने कहा कि आधार को केवल आवास के प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जा सकता है, नागरिकता के प्रमाण के रूप में नहीं। ऐसे में इसे वोटर लिस्ट से जोड़ना गलत है। 

एआईएमआईएम के असादुद्दीन औवैसी ने कहा कि यह संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों एवं निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है। यह विधेयक गुप्त मतदान के प्रावधान के भी खिलाफ है। उन्होंने कहा कि आधार से वोटर लिस्ट जोड़ने से संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होता है।

यह भी पढ़ें
वोटर ID को आधार कार्ड से जोड़ने वाला चुनाव कानून संशोधन विधेयक लोकसभा में पास, जानें क्या होगा फायदा
PM Modi met Top Companies CEO's: विश्व की टॉप-5 कंपनियों में जगह बनाने के लिए देंगे माहौल और सुविधा
27 दिसंबर मंडी जाएंगे PM Modi, धौला सिद्ध जलविद्युत और रेणुकाजी बांध परियोजनाओं का करेंगे उद्घाटन