सार
आज विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) है। उमनगोत नदी इस बात की भी प्रेरणा देती है कि अगर लोग मिलकर तय कर लें कि पर्यावरण की रक्षा करनी है और नदियों को साफ रखना है तो कितना बड़ा बदलाव आ सकता है।
नई दिल्ली। आज विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) है। यह दिन पर्यावरण की रक्षा करने के लिए संकल्प लेने और उसपर अमल करने का है। पर्यावरण की रक्षा पर ही हमारी दुनिया का भविष्य टिका है। इसके लिए पेड़ लगाने से लेकर नदियों को स्वच्छ रखना जरूरी है।
भारत की कुछ नदियों की गिनती दुनिया की सबसे प्रदूषित नदियों में होती है। वहीं, उमनगोत जैसी नदी (Umngot River) भी है, जिसे दुनिया की सबसे साफ नदियों में से एक माना जाता है। उमनगोत नदी इस बात की भी प्रेरणा देती है कि अगर लोग मिलकर तय कर लें कि पर्यावरण की रक्षा करनी है और नदियों को साफ रखना है तो कितना बड़ा बदलाव आ सकता है।
उमनगोत है भारत की सबसे साफ नदी
मेघालय में बहने वाली उमनगोत नदी को भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय (Ministry of Jal Shakti) ने देश की सबसे साफ नदी बताया है। इसका पानी इतना साफ है कि नाव में सवार होने पर तल के पत्थर साफ-साफ नजर आते हैं। यह डॉकी नदी के नाम से भी जानी जाती है। देश भर के लोग इसे देखने आते हैं।
उमनगोत नदी मेघालय की राजधानी शिलांग से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह तीन गांवों से होकर बहती है। दावकी, दारंग और शेंनान्गडेंग। इन्हीं गांवों के लोगों के जिम्मे इसकी सफाई है। गांव में करीब 300 घर हैं। सभी मिलकर सफाई करते हैं। गंदगी फैलाने पर 5 हजार रुपए तक जुर्माना वसूला जाता है। आइए जानते हैं भारत की सबसे साफ और सबसे गंदी नदियों के बारे में...
चंबल नदी का पानी भी है साफ
राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश से होकर बहने वाली चंबल नदी की गिनती भी देश की साफ नदियों में होती है। 960 किलोमीटर लंबी इस नदी का पानी यमुना नदी में मिलता है। यह नदी मगर, घड़ियाल, मीठे पानी के कछुओं और डॉल्फिन जैसी अद्भुत प्रजातियों का घर है।
मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से होकर बहने वाली नर्मदा नदी को भी देश की सबसे साफ नदियों में गिना जाता है। 1315 किलोमीटर लंबी यह नदी मध्यप्रदेश की जीवन रेखा है। अमरकंटक से निकलने वाली यह नदी अरब सागर में मिलती है।
भारत की साफ नदियों में सिक्किम और पश्चिम बंगाल से होकर बहने वाली तीस्ता नदी का भी नाम है। 309 किलोमीटर लंबी यह नदी हिमालय से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में मिलती है। इसमें लाचुंग, रंगीत और रांगपो नदी का पानी मिलता है।
इन नदियों का पानी है दूषित
भारत की सबसे गंदी नदियों की बात करें तो इसमें गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, दामोदर और बागमती का नाम आता है। एक तरफ गंगा नदी को देश की सबसे पावन नदी माना जाता है। हिंदू धर्म के लोग इसकी पूजा करते हैं। दूसरी ओर इस नदी को दुनिया की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक माना जाता है।
उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से होकर गंगा नदी बहती है। इसके किनारे स्थित करीब 1100 औद्योगिक प्रतिष्ठान ऐसे हैं जो अपना सीवेज अपशिष्ट (Sewage Waste) और प्रदूषण फैलाने वाले सामान सीधे नदी में डालते हैं।
यमुना नदी कभी दिल्ली की जीवन रेखा और पवित्र नदी थी। आज यह दुनिया की सबसे अधिक प्रदूषित नदियों में से एक है। उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश और हरियाणा से होकर बहने वाली यमुना नदी में दिल्ली का कचरा गिराया जाता है। 22 से अधिक नालों द्वारा इसमें घरेलू कचरा, औद्योगिक रसायन और फ्लाई ऐश गिराया जाता है।
2900 किलोमीटर लंबी ब्रह्मपुत्र नदी असम की जीवन रेखा की तरह है। यह नदी नाले का गंदा पानी गिराने और तेल के रिसाव के चलते प्रदूषित हो गई है। तेजी से हो रहे शहरीकरण और कुशल अपशिष्ट निपटान प्रणालियों की कमी ने इस नदी को बेजान बना दिया है।
झारखंड और पश्चिम बंगाल से होकर बहने वाली दामोदर देश की गिनती देश के सबसे प्रदूषित नदियों में होती है। नदी के अत्यधिक प्रदूषित होने का मुख्य कारण किनारे पर स्थापित किए गए कोयला उद्योग हैं। इस नदी के साथ सबसे भयावह घटना 1990 में हुई थी तब नदी में करीब 2 लाख लीटर तेल (Furnace Oil) गिर गया था।
नेपाल के काठमांडू से निकलने वाली बागमती नदी बिहार में कोशी नदी में मिलती है। इसे हिंदू और बौद्ध दोनों धर्म के लोग पवित्र मानते हैं। इसके बावजूद यह नदी दुर्गंधयुक्त, भारी औद्योगीकृत नाले जैसी धारा बनकर रह गई है। इसका पानी फसल की सिंचाई तक के लिए असुरक्षित है।
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