सार

रीमा, सउदी अरब की पहली महिला रेसर हैं। वो जीसीसी की शुरुआती तीन महिलाओं में थीं, जिन्होंने ट्रैक पर उतरने से पहले रेसिंग लाइसेंस बनवाया था।

जेद्दा. सउदी अरब में साल 2018 की शुरुआत में कोई महिला गाड़ी चलाने के बारे में सोच भी नहीं सकती थी। यहां धार्मिक वजहों से महिलाओं की ड्राइविंग पर पूरी तरह से बैन लगा था। साल 2018 के अप्रैल के महीने में ही यहां की सरकार ने महिलाओं को गाड़ी चलाने की अनुमति दी और लगभग एक साल बाद ही एक महिला प्रोफशनल रेसिंग में सउदी अरब का प्रतिनिधित्व कर रही थी।

इस महिला रेसर का नाम है रीमा जफाली। रीमा, सउदी अरब की पहली महिला रेसर हैं। वो जीसीसी की शुरुआती तीन महिलाओं में थीं, जिन्होंने ट्रैक पर उतरने से पहले रेसिंग लाइसेंस बनवाया था।

टीनऐज में ही दिखने लगा था जुनून
रीमा का जन्म सउदी अरब के जेद्दा में हुआ था। उनकी शुरुआती शिक्षा भी यहीं हुई। जफाली ने इंटरनेशनल स्कूल ऑफ जेद्दाह से अपनी पढ़ाई पूरी की। फिलहाल रीमा लंदन और जेद्दा दोनों जगहों पर समय-समय पर आती-जाती रहती हैं। रेसिंग के लिए उनका जुनून टीनऐज में ही दिखने लगा था।

जफाली उन गिनी-चुनी लड़कियों में थी, जिनको स्कूल के दिनों में ही F1 रेसिंग देखने शौक होता है। 2010 में जफाली अपनी बैचलर डीग्री पूरी करने के लिए बॉस्टन चली गई। यहां उन्होंने ड्राइविंग टेस्ट पास किया और BMW 3 सीरीज की गाड़ी खरीदी और उन्होंने इसका नाम ऑप्टिमस प्राइम रखा।


 

सूसी वोल्फ से मिलकर मिली प्रेरणा
चार साल बाद जफाली ने फ्लोरिडा के स्किप बार्बर रेसिंग स्कूल में तीन दिन का लर्निंग प्रोग्राम अटेंड किया। जफाली को एक बार पूर्व F1 रेसर सूसी वोल्फ से भी मिलने का मौका मिला। जफाली सूसी से पारिवारिक रिश्तों के जरिए मिली थी। सूसी से मिलने के बाद जफाली को यह एहसास हुआ कि उनके अंदर रेसिंग में करियर बनाने की काबिलियत है। उसी साल के अंत तक जफाली सउदी अरब की पहली रेसिंग लाइसेंस रखने वाली महिला बन चुकी थी। अब जफाली जब सड़क पर तूफानी ड्राइविंग करती हैं, कट्टरपंथी बस उन्हें देखकर रह जाते हैं।

अभी भी नहीं जानते हैं लोग
भले ही जफाली को सउदी अरब की एयरलाइन नेशनल करियर की स्पोंसरशिप मिल गई हो, पर अभी भी लोग उनको कम ही पहचानते हैं। कभी भी गलियों से गुजरते समय कोई भी उनको रोककर शेल्फी नहीं लेता है। पर जफाली का रेसिंग में भाग लेना ही कोई छोटी उपलब्धि नहीं है।

दुनिया की टॉप लेवल रेस में भाग लेना है मकसद
रेसिंग के इतिहास ने अब तक बहुत ही कम महिलाओं को ट्रैक पर देखा है। साल 1980 में ब्रिटिश अरोरा एफ 1 चैम्पियनशिप जीतने डेसायर विलियम्स F1 रेस जीतने वाली एकमात्र महिला हैं। जफाली की राह की बाधाएं भी धीरे-धीरे टूटनी शुरू हो चुकी हैं, पर उनको पता है कि उन्हें अभी लंबा रास्ता तय करना है। जफाली खुद को बहुत किस्मत वाली मानती हैं क्योंकि उन्हें वह काम करने को मिला जो उन्हें पसंद है।