सार

दरअसल, संक्रमण के चलते उत्तराखंड में करीब 65 हजार से अधिक लोगों को होम क्वारंटाइन किया गया है। ये लोग ठीक ढंग से क्वारंटाइन अवधि का पालन कर रहे हैं या नहीं इसकी निगरानी के लिए सेक्टर मजिस्ट्रेट की नियुक्ति की गई है।

देहरादून. कोरोना वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए देश में लॉकडाउन लगाया गया है। इस दौरान कई अधिकारी सख्ती के चक्कर में गलती कर बैठ रहे हैं। ऐसा ही एक मामला सीमांत उत्तरकाशी का सामने आया है। जहां कोविड-19 मजिस्ट्रेट समेत एसडीएम और पटवारी की लापरवाही से दो मासूम बच्चों पर केस दर्ज कर दिया गया। जब मामला मीडिया में तुल पकड़ा तब जिलाधिकारी ने जांच कराकर लापरवाह सेक्टर मजिस्ट्रेट गिरीश सिंह राणा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।

क्या है मामला ?

दरअसल, संक्रमण के चलते उत्तराखंड में करीब 65 हजार से अधिक लोगों को होम क्वारंटाइन किया गया है। ये लोग ठीक ढंग से क्वारंटाइन अवधि का पालन कर रहे हैं या नहीं इसकी निगरानी के लिए सेक्टर मजिस्ट्रेट कि नियुक्ति की गई है। इसी दौरान उत्तरकाशी की चिन्यालीसौड़ तहसील में कोविड-19 के सेक्टर मजिस्ट्रेट बनाए गए इरिगेशन डिपार्टमेंट के सहायक अभियंता गिरीश सिंह राणा ने दो साल की बच्ची और छह महीने के बच्चे को लॉकडाउन तोड़ने का दोषी करार दे दिया। ताजुब की बात तो ये है कि इसकी सुध ना तो एसडीएम ने ली और ना ही पटवारी ने। नतीजन यह हुआ की इन मासुमों के खिलाफ लॉकडाउन के उल्लंघन मामले में 10 अप्रैल को महामारी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर दिया गया।  

डीएम ने दिए जांच के आदेश

जब इस मामले की भनक ग्राम प्रधान को लगी तो उन्होंने इसकी शिकायत डीएम से कर दी। जिसके बाद यह मामला सुर्खियों में आ गया। तब जा कर डीएम ने जांच के आदेश दे दिए। जांच में पता चला कि सेक्टर मजिस्ट्रेट ने बिना जांच पड़ताल के अपने नंबर बढ़ाने के चक्कर में फर्जी तरीके से लॉकडाउन का उल्लंघन करने वाले लोगों के नाम की सूची बनाकर वॉर रूम को भेज दिया था। जिसमें 46वें नंबर पर दो साल की बच्ची और 47वें नंबर पर छह महीने के बच्चे का नाम डाला गया था। 

पीड़ित परिवार हरियाणा से अपने गांव लौटा था

बतादें कि जिस परिवार के साथ यह घटना हुई है वह हरियाणा के पंचकूला से अपने गांव लौटा था और प्रशासन के आदेश के बाद होम क्वांरटाइन में था। अब डीएम ने इस मामले में सूची देने वाले सेक्टर मजिस्ट्रेट गिरीश सिंह राणा को निलंबित करते हुए पत्र में लिखा है कि सेक्टर मजिस्ट्रेट की ये लापरवाही बताती है कि वो अपने दायित्वों और कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर गंभीर नहीं हैं।