सार

मामला कर्नाटक के होसानगर का है। यहां करीब तीन साल पहले दंपति के बीच किसी गलतफहमी की वजह से दोनों अलग हो गए थे। पूर्णिमा अपने पिता के घर रहने लगीं तो गणेश ने बेटे सुहास को अपने साथ रखा। पहले बेटे को इतनी समझ नहीं थी। अब वह 15 साल का हो चुका है। दसवीं में पढ़ने वाले सुहास को लोक अदालत के बारे में पता चला तो उसने इसके माध्यम से माता-पिता को एक करने की ठानी।

बेंगलुरू। कर्नाटक (Karnataka Lok adalat ) में दसवीं के एक छात्र ने तीन साल से अलग रह रहे अपने माता पिता को मिलाया है। एक छोटी सी गलतफहमी के कारण ये दंपति अलग हो गए थे। तब से महिला  अपने माता-पिता के साथ रह रही थी, जबकि उसका बेटा पिता के साथ रह रहा था। यह मामला होसानगर का है। यहां रहने वाले गणेश मूर्ति और पूर्णिमा की शादी 17 साल पहले हुई थी।  दोनों का एक बेटा सुहास है। 15 वर्षीय सुहास इस समय दसवीं में पढ़ रहा है। 

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लोक अदालत के बारे में पढ़कर पहुंचा वकील के पास 
करीब तीन साल पहले दंपति के बीच कोई गलतफहमी हुई और दोनों अलग-अलग रहने लगे। दंपति के बीच हुई इस गलतफहमी के बाद पूर्णिमा अपने पिता के घर चली गईं और वहीं रहने लगीं। उधर, गणेश ने बेटे सुहास को अपने साथ रखा। पहले बेटे को इतनी समझ नहीं थी। अब वह 15 साल का हो चुका है। दसवीं में पढ़ने वाले सुहास को लोक अदालत के बारे में पता चला तो उसने इसके माध्यम से माता-पिता को एक करने की ठानी। उसने वकील वालेमने शिवकुमार से इस मामले में मदद मांगी। शिवकुमार ने मामले की प्रोसीडिंग शुरू कराई और अदालत के माध्यम से दंपति को समन भिजवाया। होसानगर फैमिली कोर्ट में दोनों पक्षों की दलीलें सुनी गईं और इन दलीलों के जरिये सुलह का रास्ता खुला। मुख्य न्यायाधीश रविकुमार और जस्टिस पुष्पलता ने दंपति को सुना और दोनों के सामने सुलह का प्रस्ताव रखा। कुछ ही बहसों में दोनों गणेश मूर्ति और पूर्णिमा एक दूसरे के साथ रहने को तैयार हो गए।  

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