सार

किसी मां के लिए अपने मासूम बच्चे को छोड़ना आसान नहीं होता। लेकिन बात जब फर्ज की हो, तो दिल मजबूत करन पड़ता है। यह कहानी भी ऐसी ही एक डॉक्टर की है, जो अपनी छुट्टी अधूरी छोड़कर ड्यूटी पर लौट आई है।

टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड. किसी मां के लिए अपने मासूम बच्चों को छोड़ना आसान नहीं होता। लेकिन कामकाजी महिलाओं को अकसर अपने दिल को मजबूत करना पड़ता है। खासकर, वे महिलाएं..जो सार्वजनिक सेवाओं से जुड़ी होती हैं। वे घर-परिवार और ड्यूटी दोनों को बखूबी निभाती हैं। यह कहानी एक डॉक्टर की है, जो अपनी मैटरनिटी लीव अधूरी छोड़कर कोरोना के खिलाफ जारी लड़ाई में ड्यूटी पर लौट आई है। इस डॉक्टर का बेटा अभी 8 महीने का है। वो चाहतीं, तो ड्यूटी पर जाने से बच सकती थीं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। यह हैं डॉ. अंकिता अग्रवाल।


नानी संभालती हैं बच्चे को
डॉ. अंकिता अग्रवाल टिहरी जिले के प्रतापनगर ब्लॉक स्थित लंबगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र(CHC) में पदस्थ हैं। मूलत: देहरादून की रहने वालीं डॉ. अंकिता 31 मार्च तक मैटरनिटी लीव पर थीं। लेकिन जैसे ही कोरोना संक्रमण को लेकर देश में आपाताकालीन स्थितियां बनीं..अंकिता ने अपनी बकाया छुट्टियां कैंसल कीं और 15 मार्च को ही ड्यूटी पर लौट आईं। वे बच्चे को अपनी मां यानी उसकी नानी के पास छोड़कर ड्यूटी पर निकलती हैं। बच्चा अकसर मां को बाहर जाते देखकर मचलता है। इस पर मां की आंखें नम हो जाती हैं, लेकिन वे उसे प्यार से चूमकर ड्यूटी पर निकल जाती हैं। डॉ. अंकिता डेंटिस्ट हैं।

इस समय लोगों को मेरी जरूरत है..
डॉ. अंकिता कहती हैं कि छुट्टियां तो फिर मिल जाएंगी, लेकिन इस समय देश मुसीबत में है। इसलिए ड्यूटी पर लौटना उनका फर्ज बनता था। CHC में पदस्थ फॉर्मेसिस्ट जयवीर सिंह राणा ने मीडिया से कहा कि यहां बाहर से आए लोगों के लिए क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया है। इसलिए स्टाफ को हमेशा सतर्क रहना पड़ता है। डॉ. अंकिता ने अपनी लीव कैंसल की..यह अच्छी बात है।