सार
लॉकडाउन में ना तो मजदूरों की घर वापसी थम रही है न उनसे जुड़ी दर्द और दुख की कहानियां। कोरोना के खौफ में भूख और बेबसी मजदूरों की जान पर भारी पड़ रही है। लाचार और बेबस श्रमिक घर जाने की जिद में नंगे पैर तीखी धूप में पैदल चले ही जा रहे हैं। ऐसी एक दर्दभरी कहानी गुजारत से सामने आई है, जहां एक मासम बच्ची अपनी मां की ऊंगली पकड़कर एक पैर में चप्पल पहन चली जा रही है।
अहमदाबाद (गुजरात). लॉकडाउन में ना तो मजदूरों की घर वापसी थम रही है न उनसे जुड़ी दर्द और दुख की कहानियां। कोरोना के खौफ में भूख और बेबसी मजदूरों की जान पर भारी पड़ रही है। लाचार और बेबस श्रमिक घर जाने की जिद में नंगे पैर तीखी धूप में पैदल चले ही जा रहे हैं। ऐसी एक दर्दभरी कहानी गुजारत से सामने आई है, जहां एक मासूम बच्ची अपनी मां की ऊंगली पकड़कर एक पैर में चप्पल पहन चली जा रही है।
मां की हाथ पकड़ चलती रही मासूम
दरअसल, यह तस्वीर अहमदाबाद शहर में शुक्रवार को देखने को मिली। जहां एक मजूदर मां चिलचिलाती धूप में अपनी बेटी को लेकर कालुपुर से आ रही थी। मासूम अपने एक पैर में ही चप्पल पहने थी। क्योंकि रास्ते में उसकी चप्पल टूट जो गई थी। लेकिन घर जाने की चाहत में उसने पैदल चलना नहीं रोका और तपती दुपहरी में चलती गई।
(ऐसी यह एक तस्वीर राजस्थान के अजमेर से सामने आई थी, जहां मां-बेटी के पास एक जोड़ी चप्पल थी, जिसे वह 750 किमी लंबे सफर में बदल-बदलकर पहना करती थीं।)
महिला ने बयां कि अपना दर्द...
बता दें कि महिला को कालूपुर से बस पकड़नी थी, यहां से वह अपने गांव जाएगी। महिला ने कहा- क्या करें हमें घर जाना है। अगर शहर में रहेंगे तो शायद भूखे ही मर जाएंगे। यहां खाने-कमाने के लिए अब कुछ नहीं बचा, गांव में कम से कम पेट भर के खाना तो मिलेगा।