सार

जन्म के दूसरे दिन ही मां-बाप इसे छोड़कर चले गए थे। जन्म के तीन-चार महीने बाद मालूम चला था कि यह बच्चा गूंगा-बहरा है। इसका कच्छ महिला कल्याण केंद्र और कारा संस्था के सहयोग से संचालित अनाथ आश्रम में पालन-पोषण किया जा रहा था। इस बच्चे का नाम हर्ष है, इसे करीब साढ़े 7 साल पहले अनाथ आश्रम लाया गया था। अब इसे स्पेन की एक महिला ने गोद लिया है। जब उसे स्पेन ले जाया जा रहा था, तो वो बिछुड़ने पर फूट-फूटकर रो पड़ा। यही हाल उसके साथ अनाथ आश्रम में पले-पढ़े दूसरे बच्चों का था।
 

कच्छ, गुजरात. कहते हैं कि जिसकी किस्मत में जो लिखा होता है, वो उसे जरूर मिलता है। इस बच्चे के साथ भी ऐसा ही हुआ। इस बच्चे को जन्म के दूसरे दिन ही मां-बाप छोड़कर चले गए थे। इस बात को करीब साढ़े 7 साल होने को आए हैं। यह बच्चा जन्म से ही मूक-बधिर है। हालांकि यह मशीन के जरिये सुन सकता है। इसका कच्छ महिला कल्याण केंद्र और कारा संस्था के सहयोग से संचालित अनाथ आश्रम में पालन-पोषण किया जा रहा था। इस बच्चे का नाम हर्ष है। अब इसे स्पेन की एक महिला ने गोद लिया है। जब उसे स्पेन ले जाया जा रहा था, तो वो बिछुड़ने पर फूट-फूटकर रो पड़ा। यही हाल उसके साथ अनाथ आश्रम में पले-पढ़े दूसरे बच्चों का था।

पूरा अनाथ आश्रम रो पड़ा
हर्ष को स्पेन की रहने वाली नोर्मा मार्टिनीस ने गोद लिया है। शुक्रवार को जब नोर्मा उसे लेने पहुंचीं, तो माहौल भावुक हो उठा। हर्ष की विदाई देखकर पुलिस अधिकारी सौरभ सिंह का भी गला भर आया। वे बोलते-बोलते चुप हो गए। नोर्मा ने आश्रम से संपर्क किया था।

लॉकडाउन के कारण वे करीब 6 महीने बाद हर्ष को लेने आ सकीं। इस मौके पर नोर्मा ने थैंक्यू इंडिया बोलकर अपनी भावनाएं जताईं। हर्ष को रोते देखकर नोर्मा ने उसे अपने सीने से चिपका लिया और उसे चुप कराती रहीं।