सार

इस दो साल की बच्ची के हावभाव देखिए! शायद इसके अंदर गुस्सा भरा है, क्योंकि जन्मदाता उसे हॉस्पिटल में छोड़कर चले गए थे। उसे कैंसर था। हालांकि उसने कैंसर को मात दे दी है।  उसका मन बहलाने, खिलाने-पिलाने बहुत लोग हैं, मगर मां-बाप की कमी शायद कोई पूरी नहीं कर सकता।
 

कोलकाता. इस दो साल की बच्ची के अंदर गुस्सा भरा हुआ है। यह गुस्सा खेल-खेल में ही सही, चेहरे पर झलक ही पड़ता है। इस गुस्से की अभिव्यक्ति सिर्फ लोग देख सकते हैं, उसे महसूस नहीं कर सकते। यह बच्ची शायद अपने मां-बाप से नाराज है, जो उसे हॉस्पिटल में बेसहारा छोड़कर चले गए थे। क्योंकि बच्ची को कैंसर निकला था। लेकिन कहते हैं कि इंसान के अंदर इतनी ताकत होती है कि वो हर मुसीबत से लड़ सकता है। इस बच्ची का नाम है मीनू। मीनू छोटी जरूर है, लेकिन उसके अंदर की शक्ति ने कैंसर को मात दे दी है। अब बच्ची स्वस्थ्य है, लेकिन उसके मां-बाप गायब। पुलिस उन तक पहुंच नहीं पाई है। क्योंकि उन्होंने हॉस्पिटल में अपनी गलत नाम-पता दर्ज कराया था। शायद उन्हें पहले से मालूम था कि बच्ची को कैंसर है। 

हॉस्पिटल बना मीनू का घर..
मीनू कोलकाता मेडिकल कॉलेज में रहती है। यहीं उसका इलाज हुआ और नया जन्म मिला। अब उसके लिए यहां की नर्सें और डॉक्टर ही उसका परिवार हैं। मां-बाप से कहीं ऊपर हैं। जानकारी के मुताबिक, मीनू का जन्म 3 अक्टूबर, 2017 को इसी हॉस्पिटल में हुआ था। मीनू की कमर के नजदीक जन्म से ही एक ट्यूमर निकला था। मीनू के बचने की न के बराबर उम्मीद थी। 2 महीने की उम्र में मीनू के ट्यूमर की सर्जरी की गई। इसी दौरान डॉक्टरों को संदेह हुआ। जब उसकी बायोप्सी की गई, तो कैंसर का पता चला। इसके बाद कीमोथेरेपी शुरू हुई। इसी दौरान उसके मां-बाप हॉस्पिटल में उसे छोड़कर गायब हो गए। पुलिस ने उन्हें बहुत ढूंढा, लेकिन उनका पता नहीं चला। डॉक्टरों और नर्सों ने भी मीनू को अपना लिया है। वे उसका जन्मदिन मनाते हैं, अपने बच्चे की तरह ख्याल रखते हैं। वैसे तो मीनू यहां बहुत खुश है। लेकिन मां-बाप का स्पर्श, जो आनंद देता है, उसके वंचित होने का एहसास शायद मीनू के अंदर महसूस किया जा सकता है।