सार

कोरोना के दौरान कई मरीजों के लिए मसीहा बनकर सामने आईं बेटी देशना और उनकी मां अहल्या हैं। जो चेन्नई की रही वालीं हैं। बता दें कि देशना खुद साल 2020 में कोरोना को मात दे चुकी हैं। उस दौरान उन्होंने समझा कि संक्रमित लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या खाना होती है। क्योंकि डर के चलते लोग उनके पास नहीं जाते हैं। 

चेन्नई. कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने हर तरफ हाहाकार मचाकर रखा है। महामारी के इस दौर में जिंदादिली और इंसानियत कई मिसाल देखने को मिल रही हैं। जहां लोग अपनी जान जोखिम में डालकर संक्रमित मरीजों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। आज हम आपको ऐसी ही एक मां-बेटी के बारे में बताने जा रहे हैं जो इस मुश्किल घड़ी में एक हीरो बनकर उभरी हैं। मां-बेटी कोरोना पीड़ितों के लिए अपने खर्चे पर खाना बनाकर लोगों को मुफ्त में खाना खिलाकर उनकी मदद कर रही हैं। 

पिछले साल पूरा परिवार हुआ था संक्रमित
दरअसल, कोरोना के दौरान कई मरीजों के लिए मसीहा बनकर सामने आईं बेटी देशना और उनकी मां अहल्या हैं। जो चेन्नई की रही वालीं हैं। बता दें कि देशना खुद साल 2020 में कोरोना को मात दे चुकी हैं। उस दौरान उन्होंने समझा कि संक्रमित लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या खाना होती है। क्योंकि डर के चलते लोग उनके पास नहीं जाते हैं। कुछ दिन पहले देशना एक ट्वीट किया था, ''मैं एक जॉइंट फैमिली में रहती हूं जिसमें 14 सदस्य हैं, पिछले साल मेरे परिवार के 10 सदस्य कोरोना से संक्रमित हो गए थे, मुझे पता है कि कोरोना के संक्रमित लोगों के लिए अपने घर पर रहना और खाने की व्यवस्था करना कितना मुश्किल है, जब मैंने इस साल इतने लोगों को कोरोना से पीड़ित होते हुए देखा, तब मैंने इन लोगों की मदद करने का फैसला लिया''।

मां-बेटी पूरे शहर में फ्री में बांट रहीं खाना
बता दें कि देशना चेन्नई के एक कॉलेज से बीकॉम सेकंड ईयर की पढ़ाई कर रही हैं। उन्होंने  ट्वीट कर कहा था कि मेरे हाल ही में सेमेस्टर एग्जाम पूरे हुए हैं और अभी मेरे पास 2 महीने हैं,  इसलिए मैंने इस खाली समय को कोरोना से पीड़ित लोगों की मदद करने का सोचा है। हमने इसके लिए सोशल मीडिया पर एक पेज बनाया हुआ है। जिसमें मेरा नंबर है, जरुरतमंद लोग हमको कॉल करते हैं और हम उनक तक मदद पहुंचा देते हैं। उन्होंने कहा कि हम मां और बेटी मिलकर शहरभर के मरीजों के लिए एक साथ खाना बनाते हैं। पहले हमने अपने घर के पास रहने वाले कोरोना मरीजों को खाना पहुंचाते थे। लेकिन अब यह मदद पूरे शहर में की जा रही है।