सार
पुडुचेरी में 6 अप्रैल को होने जा रहे विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर कांग्रेस चुनाव समिति की बैठक में हंगामा हो गया। नेताओं ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री नारायणसामी की मौजूदगी में एक-दूसरे को खूब खरी-खोटी सुनाईं और धक्के मारे। इसका एक वीडियो वायरल हुआ है।
पुडुचेरी. पांच राज्यों पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां चरम पर हैं। इस बीच रविवार को पुडुचेरी में कांग्रेस चुनाव समिति की बैठक में चुनावी तैयारियों पर चर्चा करते-करते नेता एक-दूसरे से भिड़ गए। नेताओं ने एक-दूसरे को धक्के मारे और खरी-खोटी सुनाईं। इस दौरान वहां पूर्व मुख्यमंत्री नारायणसामी मौजूद थे, लेकिन वे कुछ नहीं कर सके। इसका एक वीडियो वायरल हुआ है। बता दें कि पुडुचेरी में एक चरण में 6 अप्रैल को वोटिंग होगी। मतगणना बाकी राज्यों के साथ 2 मई को होगी।
यह भी जानें..
- रविवार को बैठक के दौरान पार्टी के एक नेता ने डीएमके का झंडा लहरा दिया। इसके बाद माहौल बिगड़ गया और हाथापाई होने लगी। हंगामे के बाद कांग्रेस कार्यालय के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
- बता दें कि पुडुचेरी चुनाव को लेकर Times Now और C-वोटर सर्वे ने वोटरों का रुझान जानने की कोशिश की है। इसके अनुसार कांग्रेस की सत्ता में दुबारा वापसी मुश्किल नजर आ रही, जबकि NDA को 30 में से 18 सीटें मिलती दिख रही हैं। कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के खाते में सिर्फ 12 सीट आती दिख रही हैं। सर्वे के अनुसार, यूपीए को 37.6 फीसदी वोट और एनडीए को 44.5 फीसदी वोट मिलने की उम्मीद है। 17.9 प्रतिशत वोट अन्य उम्मीदवारों को मिल सकते हैं।
- 2016 के चुनाव में एनडीए को 30.5 फीसदी और यूपीए को 39.5 फीसदी वोट मिले थे। हालांकि यह अलग बात है कि इस ओपिनियन पोल में 36 फीसदी लोगों ने वी नारायणसामी को फिर से प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी पहली पसंद बताया है। 21.75 फीसदी लोगों ने वी नारायणसामी सरकार के कामकाज पर संतुष्टि जताई। जबकि 21.88 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे कुछ हद तक संतुष्ट रहे। लेकिन 32.41 फीसदी लोगों ने कांग्रेस सरकार के कामकाज पर अंसतोष जाहिर किया। 23.96 प्रतिशत लोग कुछ भी नहीं बता सके।
- सर्वे में एआईएनआरसी के एन रंगास्वामी को 42 फीसदी लोगों ने सीएम की पोस्ट के लिए सबसे अच्छा प्रत्याशी बताया। कांग्रेस और डीएमके के गठबंधन वाली सरकार पिछले महीने गिर गई थी। नारायणसामी सदन में उपराज्यपाल के सामने अपना बहुमत साबित नहीं कर पाए थे। कांग्रेस के 6 विधायकों की बगावत के बाद नारायणसामी की सरकार अल्पमत में आ गई थी।