सार

सरबजीत सिंह और सुखप्रीत कौर की शादी 1984 में हुई थी। सोमवार देर रात अमृतसर में सरबजीत सिंह की पत्नी की सड़क हादसे में मौत हो गई। उनकी दो बेटियां हैं। सुखप्रीत कौर अपने पति का 23 साल तक इंतजार करती रही। 

चंडीगढ़. सरबजीत सिंह, इस नाम से देश का हर नागरिक वाकिफ है। सोमवार देर रात अमृतसर में सरबजीत सिंह की पत्नी की सड़क हादसे में मौत हो गई। उनकी दो बेटियां हैं। उनका नाम सुखप्रीत कौर था। उनके नाम में भले ही सुख शब्द जुड़ा है लेकिन उनकी पूरी जिंदगी हादसों और दुखों से भरी रही। शादी के बाद पति के साथ केवल 5 साल का वक्त बिताए उसके बाद 23 साल तक अपने पति का इंतजार करती रही लेकिन ये इंतजार कभी पूरा नहीं हुआ। जिस बॉर्डर को लांघकर सरबजीत पाकिस्तान गया था वहीं जेल में उसकी हत्या कर दी गई।   

1984 में हुई थी शादी
सरबजीत सिंह और सुखप्रीत कौर की शादी 1984 में हुई थी। शादी के बाद 6 साल तक दोनों ने खुशहाल जीवन बिताया। उनकी दो बेटियां भी हुईं लेकिन 28 अगस्त 1990 को सुखप्रीत कौर की जिंदगी बदल गई। दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। रास्ता भटके सरबजीत सिंह पाकिस्तान की सीमा में चला गया। जहां पाकिस्तानी सेना ने सरबजीत को पकड़ लिया और उसके खिलाफ आतंकवाद औऱ जासूसी का आरोप लगाते हुए जेल में डाल दिया। 

बेटियों को अकेले ही पाला
सुखप्रीत कौर ने अपनी बेटियों स्वप्नदीप और पूनमदीप को अकेले ही पाला। वो पूरी जिंदगी अपने पति का इंतजार करती रहीं। सरबजीत को जब पाकिस्तानी सेना के द्वारा गिरफ्तार किया गया था उस समय उनकी बड़ी बेटी स्वप्नदीप 3 साल की औऱ छोटी बेटी पूनमदीप सिंह केवल 23 दिन की थी। 

2013 को हुई सरबजीत की जेल में हत्या
पाकिस्तानियों ने सरबजीत सिंह को रॉ एजेंट बताते हुए कई केस किए। उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई लेकिन भारत के दखल के कारण मामला अंतरराष्ट्रीय हो गया जिसके बाद उसकी फांसी की सजा को टाल दिया गया लेकिन 26 अप्रैल 2013 को सरबजीत की लाहौर के कोट लखपत जेल में हत्या कर दी गई। जिसके बाद सुखप्रीत कौर का इंतजार हमेशा के लिए खत्म हो गया। 

18 साल बाद पति को देखा लेकिन बात नहीं हुई
पति के बिछड़ने के बाद सुखप्रीत कौर 2008 में पति से पहली बार मिलीं।  लेकिन वो ज्यादा देर तक बात नहीं कर सकीं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वो अपने पति के लिए खाना बनाकर ले गईं थी लेकिन उन्हें अपने हाथ से खिला नहीं पाईं। 1990 के बाद सुखप्रीत कौर की जिंदगी में खुशियां कभी नहीं आई वो केवल अपने पति का ही इंतजार करती रहीं। अब उनकी भी मौत हो गई है। मंगलवार को पैतृक गांव में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

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