सार
केंद्र के कृषि बिल के खिलाफ देशभर में खासकर पंजाब में जारी किसानों के आंदोलन ने उद्योगों पर संकट खड़ा कर दिया है। स्टील उद्योग तो जैसे ठप्प हो गया है। वहीं, मालगाड़ियां नहीं चलने से थर्मल प्लांटों को कोयला नहीं मिल पा रहा है। इससे पंजाब में ब्लैकआउट का संकट मंडराने लगा है।
चंडीगढ़. शनिवार को राजस्थान विधानसभा में केंद्र के कृषि बिल के खिलाफ प्रस्ताव रखा गया है। इस पर सोमवार को चर्चा होगी। पंजाब पहले ही इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित कर चुका है। बेशक पंजाब सरकार ने किसान आंदोलन को सहयोग किया, लेकिन अब आंदोलनकारी उस पर भी भरोसा नहीं कर रहे हैं। कारण, कृषि बिल को न मानना राज्य सरकारों के लिए उतना सरल नही है, जितना समझा जा रहा है।
स्टील इंडस्ट्री पर संकट, ब्लैकआउट का खतरा
आंदोलन के चलते किसान रेलवे ट्रैक पर बैठे हुए हैं। इससे भारतीय रेलवे ने पंजाब आने वाली तमाम रेलगाड़ियां रद्द कर रखी हैं। इसकी वजह से पंजाब में आवश्यक चीजें नहीं पहुंच पा रही हैं। थर्मल प्लांटों को कोयले की सप्लाई नहीं होने से राज्य में ब्लैकआउट का खतरा मंडराने लगा है। बता दें कि बठिंडा के तलवंडी साबो में पंजाब का सबसे बड़ा थर्मल प्लांट है। इसमें 2000 मेगावॉट बिजली बनती है। वहीं, पटियाला के नाभा स्थित प्लांट में 1400 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता है। लेकिन यहां अब कुछ दिनों का ही कोयला बचा है।
वहीं, पंजाब में स्टील इंडस्ट्री पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। लुधियाना में 70 फीसदी बाजार लोहे के उत्पादन से जुड़े हैं। इस पर पर संकट मंडरा रहा है। बता दें कि अकेले लुधियाना में 50 स्टील निर्माता कंपनियां हैं। यहां से रोज सात हजार टन स्टील के उत्पादों का निर्माण होता है।
सरकार नहीं मना पाई किसानों को
सरकार और आंदोलनकारियों के बीच कई वार्ताएं हो चुकी हैं। लेकिन वे सभी बेनतीजे रहीं। हाल में पंजाब विधानसभा में कृषि विधेयकों के खिलाफ प्रस्ताव पारित कराया गया था। किसानों ने इसे नकार दिया है।