सार
चंडीगढ़ को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच का विवाद नया नहीं है। यह विवाद उस वक्त से ही है जब 1966 में हरियाणा पंजाब से अलग होकर एक नया राज्य बना था। 56 साल के दौरान यह सातवीं दफा है जब पंजाब ने इस प्रस्ताव को विधानसभा में पेश किया है।
चंडीगढ़ : पंजाब और हरियाणा का बीच विवाद का विषय बने चंडीगढ़ (Chandigarh) को लेकर अब सियासत और भी गहराने लगी है। जहां एक तरफ भगवंत मान सरकार (Bhagwant Mann Government) ने इसका प्रस्ताव पास कर दिया है तो पांच अप्रैल यानी मंगलवार को हरियाणा में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। इस बीच पूर्व पीसीसी चीफ सुनील जाखड़ (Sunil Jakhar) भी इस मुद्दे में कूद गए हैं। उन्होंने एक ट्वीट कर तंज कसा है। अपने ट्वीट में उन्होंने चंडीगढ़ मुद्दे मरा हुआ मुद्दा बताया है। उन्होंने कहा कि जिस मुद्दे का अब कोई मतलब ही नहीं है उसपर दोनों राज्यों के बीच जो किसान आंदोलन के दौरान भाईचारा बना है, वह भेंट चढ़ जाएगा।
जाखड़ का इशारा किसकी ओर
सुनील जाखड़ ने लिखा है कि इस मामले में पंजाब और हरियाणा अब आमने-सामने हैं। किसान आंदोलन के वक्त दोनों राज्यों के बीच जो भाईचारा और एकता बना था वह इस खोए हुए मुद्दे की भेंट चढ़ जाएगा। हमेशा की तरह यही होगा कि दो बिल्लियों की लड़ाई में बंदर बाजी मार जाएगा। उनके इस ट्वीट के बाद सियासी गलियारों में चर्चा होने लगी है कि आखिर जाखड़ का इशारा किसकी ओर है और उन्होंने बंदर किसको बताया है?
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पंजाब में प्रस्ताव
बता दें कि इस मुद्दे की एक बार फिर शुरुआत उस वक्त हुई जब केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर केंद्रीय नियम लागू कर दिया। इसके बाद पंजाब की मान सरकार ने एक कदम आगे बढ़ते हुए एक अप्रैल को विधानसभा का सत्र बुलाया और इसमें चंडीगढ़ को पूर्ण रूप से पंजाब को देने के लिए प्रस्ताव पास कर दिया। जिसके बाद सियासी तौर पर खूब शोरगुल मचा है।
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हरियाणा में विशेष सत्र बुलाया गया
वहीं, अब इसी मुद्दे को लेकर हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार (Manohar Lal Khattar Government) ने पांच अप्रैल यानी मंगलवार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। सबसे पहले मंगलवार को बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में इसकी चर्चा होगी इसके बाद विधानसभा में इसको लेकर बहस होगी और पंजाब सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाया जाएगा।
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