सार

डेरे के एक अधिकारी ने बताया कि नेताओं के इन दौरों को पंजाब के चुनाव से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए। इन नेताओं को डेरा का करीबी माना जाता है। इसलिए यह यहां आए थे। दौरे के दौरान अपने-अपने क्षेत्रों में डेरा के अनुयायियों के कार्यों की भी सराहना की।

चंडीगढ़ : भले ही डेरा सच्चा सौदा सिरसा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim) रेप केस में हरियाणा (Haryana) की सुनारिया जेल में सजा काट रहा हो, बावजूद इसके नेताओं का डेरे के प्रति लगाव कम हुआ है। पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Chunav 2022) की घोषणा के बाद से ही यहां नेताओं के आने का सिलसिला लगातार जारी है। बता दें कि गुरमीत राम रहीम 2017  और फिर 2021 में हत्या और बलात्कार के मामलों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।  

डेरा जाने के पीछे क्या है वजह
इसकी वजह है, डेरे से जुड़े लाखों अनुयायी। जो डेरा प्रमुख पर तमाम आरोपों के बाद भी डेरे से जुड़े हुए हैं। समय समय पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में वह नियमित तौर पर हाजिरी देते हैं। नेता डेरे के अनुयायियों की वोट का महत्व समझते हैं। इसलिए लगातार डेरे के चक्कर लगा रहे हैं। डेरा मुख्यालय सिरसा में पहुंचने वालों में अबोहर से भाजपा विधायक अरुण नारंग, मनसा जिले के सरदुलगढ़ से भाजपा प्रत्याशी जगजीत सिंह मिल्खा, पंजाब लोक कांग्रेस (कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी) के पटियाला ग्रामीण प्रत्याशी संजीव बिट्टू, मौर से प्रत्याशी कांग्रेस नेता मंगत राम बंसल डेरा पहुंचे। इसके अलावा  हरियाणा विधानसभा उपाध्यक्ष रणबीर सिंह गंगवा ने भी डेरे का दौरा किया। 

चुनावी कनेक्शन या कुछ और
डेरे के एक अधिकारी ने बताया कि नेताओं के इन दौरों को पंजाब के चुनाव से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए। इन नेताओं को डेरा का करीबी माना जाता है। इसलिए यह यहां आए थे। दौरे के दौरान अपने-अपने क्षेत्रों में डेरा के अनुयायियों के कार्यों की भी सराहना की। इस दौरान किसी भी तरह की राजनीति पर चर्चा नहीं की, हालांकि, जानकार मानते हैं कि पंजाब में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर उनकी यात्रा राजनीतिक समझ जानी चाहिए।

अनुयायियों को लुभाने की कवायद
डेरे में  गुरु शाह सतनाम जी महाराज की 103वीं जयंती के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।  सत्संग  में  अलग-अलग राज्यों से बड़ी  संख्या में डेरा अनुयायी मुख्यालय पहुंचते हैं। इसमें पंजाब से आने वाले अनुयायियों की संख्या भी काफी ज्यादा है। डेरे के नजदीक दिखा कर नेता, अनुयायियों का अपने पक्ष में करन की कोशिश करते हैं। जिससे यदि डेरे ने किसी दूसरी पार्टी को समर्थन दे भी दिया, कम से कम उन्हें डेरे के नजदीक होने की वजह से अपने विधानसभा क्षेत्र में डेरा अनुयायियों का वोट तो मिल जाए। नेता यह सुनिश्चित करने के लिए भी इन दिनों डेरे के चक्कर कुछ ज्यादा लगा रहे हैं। डेरा के एक अनुयायी ने कहा, "किसी भी पार्टी या उम्मीदवार को समर्थन देने का फैसला राजनीतिक विंग करता है। मतदान से कुछ दिन पहले ही अनुयायियों को इसकी जानकारी देता है।

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