सार
पंजाब में चुनाव की तारीख बदल दी गई है। अब 14 फरवरी की बजाय 20 फरवरी को मतदान होगा। जबकि वोटों की गिनती तय तारीख के मुताबिक 10 मार्च को ही होगी। सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव की तारीख आगे बढ़ाने की मांग की थी।
चंडीगढ़ : सियासी दलों की मांग को देखते हुए चुनाव आयोग ने पंजाब में चुनाव (Punjab Election 2022) की तारीख आगे बढ़ा दी है। अब 14 फरवरी की बजाय 20 फरवरी को मतदान होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर चुनाव आयोग ने ऐसा क्यों किया और राजनीतिक दलों के इस मांग के पीछे क्या वजह थी।
सबसे पहले सीएम ने की मांग
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) ने सबसे पहले प्रदेश में 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव को तारीख आगे बढ़ाने की मांग की इसके लिए उन्होंने चुनाव आयोग (Election Comission) को पत्र लिखा है। सीएम ने चुनाव कम से कम 6 दिन टालने की मांग की।
पत्र में क्या लिखा
चुनाव आयोग को लिखे अपने पत्र में चन्नी ने लिखा है, 16 फरवरी को गुरु रविदास जयंती के मद्देनजर राज्य के अनुसूचित जाति समुदाय के लोग वाराणसी जाते हैं। ऐसे में चुनाव को कम से कम छह दिनों के लिए स्थगित कर दें। चन्नी के अनुसार अनुसूचित जाति समुदाय के प्रतिनिधियों ने उन्हें यह जानकारी दी है। सीएम चन्नी के मुताबिक पंजाब में अनुसूचित जाति के वोटर लगभग 32 फीसदी हैं। समुदाय के प्रतिनिधियों का कहना है कि अगर 14 फरवरी को वोटिंग हुई काफी संख्या में समुदाय के लोग मतदान नहीं कर पाएंगे। लगभग 20 लाख लोग श्री रविदास की जयंती पर वाराणसी जाते हैं।
बीजेपी-बसपा ने भी की मांग
वहीं, सीएम चन्नी के बाद रविवार को भाजपा और बसपा ने भी चुनाव को पोस्टपोन (स्थगित) किए जाने की मांग की। दोनों दलों ने भी चन्नी की मांग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि 10 फरवरी से 16 फरवरी तक बड़ी संख्या में रविदास अनुयायी बनारस जा सकते हैं और इससे वे चुनावी प्र्क्रिया में हिस्सा नहीं ले सकते। इसलिए चुनाव आयोग चुनाव की तारीख आगे बढ़ा दे ताकि ये सभी चुनाव में मतदान कर सके।
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