सार

गुरुवार को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और एनडीए के सहयोगी रहे शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख प्रकाश सिंह बादल ने पद्म विभूषण अवॉर्ड लौटा दिया है। 

जालंधर. पंजाब से शुरू हुआ कृषि कानून के विरोध में आंदोलन देश की राजधानी दिल्ली तक पहुंच गया है। मोदी सरकारी की किसानों को मनाने की तमाम कोशिशें जारी हैं। इसके बावजूद भी किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। किसान तीनों कानूनों को वापस करने की मांग पर अड़ गए हैं। अब विरोध के चलते किसानों के समर्थन में अवॉर्ड वापसी का दौर शुरू हो गया है।

इस वजह से बादल ने लौटाया अपना अवॉर्ड 
दरअसल. गुरुवार को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और एनडीए के सहयोगी रहे शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख प्रकाश सिंह बादल ने पद्म विभूषण अवॉर्ड लौटा दिया है। वहीं दूसरा पुरस्कार शिरोमणि अकाली दल के ही नेता और राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा ने भी अपना पद्म भूषण अवॉर्ड लौटाने का ऐलान कर दिया है।

ये खिलाड़ी भी अवॉर्ड लौटाने का कर चुके हैं ऐलान
बता दें कि शिरोमणि अकाली दल के नेता नहीं चाहते कि किसान आंदोलन श्रेय पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह या कांग्रेस पार्टी को मिले। इसी सिलसिले में उन्होंने अवॉर्ड लौटाने लगे हैं। अब इस मामले में भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान और पद्मश्री परगट सिंह, पद्मश्री रेसलर करतार सिंह, अर्जुन अवार्डी हॉकी प्लेयर राजबीर कौर और बास्केटबॉल प्लेयर अर्जुन सिंह चीमा ने भी अवॉर्ड लौटाने का ऐलान पहले ही कर चुके हैं।

किसानों के लिए तोड़ दी 22 साल पुरानी दोस्ती
पंजाब में किसानों के सपोर्ट में आए आकली दल ने अपना बीजेपी से 22 साल पुराना नाता तोड़ दिया है। इस आंदोलन की शुरूआत में ही पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल की बहू और अकाली नेता हरसिमरत कौर ने केंद्र सरकार में मंत्री पद से पहले ही इस्तीफा दे चुकी हैं। आकाली नेता चाहते हैं कि किसानों का पूरी माइलेज अमरिंदर सिंह की जगह उनकी पार्टी को मिले।

(यह तस्वीर साल 2019 की है, लोकसभा नामांकन के दौरान पीएम मोदी प्रकाश सिंह बादल के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हुए।)

5 बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं बादल     
हलांकि अब प्रकाश सिंह बादल सक्रिय राजनीति से दूर रहते हैं। उन्होंने अपने बेटे सुखबीर बादल को पार्टी की कमान सौंप दी है। प्रकाश सिंह बादल 5 बार पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके है। बता दें कि उनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अच्छे संबंध रह हैं। अटल बिहार बाजपेयी के समय से भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल का गठबंधन भी अब तक ज़ारी रहा। लेकिन जब मोदी सरकार ने कृषि कानून पारित किया तो वह अलग हो गए।