सार
संकट के समय में भी जो जिंदगी को ढूंढ ले, वो ही सच्चा वॉरियर होता है। इस लड़की ने भी कोरोनाकाल में जिंदगी जीने का मकसद निकाल लिया। यह लड़की यूपी के शामली की रहने वाली है। लॉकडाउन के पहले यह पंजाब के संगरूर में अपने रिश्तेदार के यहां आई थी। लेकिन फिर लौट न सकी। एक दिन वो DSP के पास घर जाने के लिए परमिशन लेने पहुंची। परमिशन तो नहीं मिल सकी, लेकिन वहां उसे एक ऐसा काम जरूर मिला, जिसने उसे सुकून दिया।
संगरूर, पंजाब. यह एक ऐसी लड़की की कहानी है, जिसने हवलदार बनकर एक दिन ही सही, लेकिन पंजाब पुलिस के लिए बेहतर काम कर दिखाया। संकट के समय में भी जो जिंदगी को ढूंढ ले, वो ही सच्चा वॉरियर होता है। इस लड़की ने भी कोरोनाकाल में जिंदगी जीने का मकसद निकाल लिया।
यह लड़की यूपी के शामली की रहने वाली है। लॉकडाउन के पहले यह पंजाब के संगरूर में अपने रिश्तेदार के यहां आई थी। लेकिन फिर लौट न सकी। एक दिन वो DSP के पास घर जाने के लिए परमिशन लेने पहुंची। परमिशन तो नहीं मिल सकी, लेकिन वहां उसे एक ऐसा काम जरूर मिला, जिसने उसे सुकून दिया। एक दिन वो वर्दी पहनकर निकली और पैदल घर जाते लोगों को समझाया कि वे परेशान न हों। जहां हैं, वहीं रहें, सरकार उनकी मदद करेगी। इस तरह की अफरा-तफरी से दिक्कतें पैदा होंगी।
लड़की से मिलकर DSP को आया था आइडिया
यह हैं अंशु उपाध्याय। वे जब यहां लॉकडाउन में फंसीं, तो पैदल जाते मजदूरों को देखकर रो पड़ीं। जब वे अपने जाने की परमिशन लेने DSP बूटा सिंह गिल से मिलीं, तो कुछ करने का मौका मिला। गिल ने बताया कि लहरागागा पुलिस श्रमिकों को पैदल जाने से रोकने एक अच्छी पहल करना चाहती थी। जब अंशु उनसे मिलीं, तो उन्हें आइडिया आया कि क्यों न उन्हें एक दिन का हवलदार बनाकर अपील कराई जाए। चूंकि अंशु खुद भी कर्फ्यू में फंसीं हुई थी, लिहाजा उनकी मार्मिक अपील का अच्छा असर हुआ।
अंशु ने कहा कि उन्हें अनिल कपूर की फिल्म नायक की तर्ज पर एक दिन का हवलदार बनने का मौका मिला। इससे उन्हें कुछ करने का अवसर मिल सका। अब वे फिलहाल, यही रुकी हुई हैं। वे यह चाहती हैं कि मजदूर पैदल घर न जाएं। कुछ दिन रुकें, सरकार उन्हें भेजने का इंतजार करेगी। एसडीएम काला राम ने कहा कि मजदूरों का मेडिकल चेकअप कराने के बाद ही उन्हें घर भेजा जाएगा।