सार

स्टूडेंट का कहना था कि किसी अफसर ने हमसे संपर्क भी नहीं किया है। हम अपने आपको कितना संभालें। अपने जूनियर को संभालते संभालते हम बेबस हो गए हैं। कल दोपहर 2 बजे से निकले हैं। किसी से संपर्क नहीं हो पाया है। इससे अच्छा होता मर जाते हम लोग।

मजीठा (अमृतसर)। यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध हो रहा है और भारत से एमबीबीएस करने गए स्टूडेंट यूक्रेन में फंसकर रह गए हैं। अब स्वदेश लौटने वाले छात्रों की लिस्ट लगातार बढ़ती जा रही है। जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं, वैसे ही अब पैरेंट्स की चिंता भी बढ़ रही है और वह चाहते हैं कि जल्दी से जल्दी उनके बच्चे वापस घर आ जाएं। इस बीच, एक वीडियो सामने आया है। इसमें एक स्टूडेंट बेहद दुखी देखा जा रहा है। वह कह रहा है कि हम 10 घंटे से फंसे हैं और इस बॉर्डर पर इंतजार रहे हैं। लेकिन, हमें कोई लेने नहीं आया है। ना किसी ने निकाला है। 

स्टूडेंट का कहना था कि किसी अफसर ने हमसे संपर्क भी नहीं किया है। हम अपने आपको कितना संभालें। अपने जूनियर को संभालते संभालते हम बेबस हो गए हैं। कल दोपहर 2 बजे से निकले हैं। किसी से संपर्क नहीं हो पाया है। इससे अच्छा होता मर जाते हम लोग। वहीं कोई आकर मिसाइल मार देता हमें। मां-बाप भी नहीं हैं यहां पर। कोई पूछने वाला नहीं है। सिर्फ बातें हो रही हैं कि आपके लिए ऑफिसर्स खड़े हैं। लेकिन यहां कोई अफसर नहीं हैं। कैसे निकलेंगे हम? छात्र जोर जोर से रोने लगता है।   

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मीडिया को दर्द बयां करके मायूस लौट गए परिजन
बता दें कि अमृतसर में ही शुक्रवार तक 45 बच्चे फंसे होना बताए जा रहे थे, लेकिन शनिवार सुबह ही कुछ पैरेंट्स डीसी ऑफिस में पहुंचे, जिनके पास 52 छात्रों की लिस्ट थी। हालांकि, शनिवार होने के कारण डीसी गुरप्रीत सिंह खैहरा मौजूद नहीं थे। ऐसे में पीए ने इन लोगों को एसडीएम से मिलने के लिए कहा, लेकिन एसडीएम भी मौजूद नहीं थे। आखिरकार मायूस पैरेंट्स मीडिया के सामने दर्द बयां करके लौट गए। फिर दोपहर को इन्हीं लोगों को फिर से डीसी दफ्तर में बुलाया गया और उन्हें कंप्लीट इनफ्र्मेशन देने के लिए कहा गया।

वॉट्सऐप बनाकर स्टूडेंट से बनाए हैं संपर्क 
शनिवार सुबह डीसी ऑफिस में 24 फरवरी को ही वापस आई छात्रा युक्ता एक लिस्ट लेकर पहुंची थी, इनमें 52 बच्चों के नाम थे जो खारकीव में ही स्थित कॉलेज हॉस्टल के बंकर में मौजूद हैं। ये सभी छात्र युक्ता के बैचमेट हैं और पंजाब के अलग-अलग शहरों से हैं। युक्ता ने बताया कि उन्होंने एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाकर सभी को इकट्ठा किया है और अब हर सूचना एक-दूसरे से शेयर की जा रही है। वह खुद 24 फरवरी को ही अमृतसर पहुंची हैं और उसके बाद यूक्रेन के हालात और भी खराब हो गए हैं। 

छात्रों को फ्लाइट्स तक पहुंचना मुश्किल हो रहा है
युक्ता ने बताया कि अमृतसर और पंजाब के ज्यादातर बच्चे यूक्रेन के खारकीव में ही हैं और वहां के कॉलेज के हॉस्टल में बने बंकर में एक साथ रह रहे हैं। फिलहाल, कॉलेज प्रबंधन खाने पीने का इंतजाम कर रहा है लेकिन अब बच्चे पूरी तरह से डरे हुए हैं। डॉ. अनुराग ने बताया कि उनका भाई यूक्रेन में है और अब कम ही बात होती है। क्योंकि इंटरनेट भी काम नहीं कर रहा। वह अब सुबह डीसी दफ्तर यही गुहार लेकर आए थे कि बच्चों से संपर्क किया जाए और उन्हें बताया जाए कि वह खारकीव से पास के एयरबेस में कैसे पहुंचें। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से फ्लाइट्स तो चलाई गई हैं लेकिन उन फ्लाइट्स तक छात्रों का खुद से पहुंचना मुश्किल है।

खारकीय में ही फंसे हैं सारे स्टूडेंट्स 
डीसी ऑफिस में उन्हें डीआरओ से मुलाकात के बाद कंट्रोल रूम में सारी डिटेल लिखवाने के लिए कहा गया। कंट्रोल रूम में अब तक सिर्फ 20 छात्रों की ही डिटेल है जबकि अमृतसर के ही करीब 45 छात्र बताए जा रहे हैं। कंट्रोल रुम से लगातार बच्चों से और उनके माता-पिता से संपर्क किया जा रहा है। डीसी ऑफिस पहुंचे पेरेंट्स ने गुहार लगाई कि केंद्र सरकार की ओर से बच्चों को लाने के लिए फ्लाइट्स तो चलाई जा रही हैं। मगर, सारे बच्चे खारकीव में ही फंसे हैं।

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