सार

शहादत को हुए 18 साल अब जाकर नियम बदलने के कारण बीएसएफ पैरामिलिट्री के जवान को मिला शहीद का दर्जा। जैसे ही परिवार को पता चला उनके साथ पूरे गांव मे खुशी के आंसू आ गए। बीएसएफ अधिकारी घर पहुंचे शहीद के दर्जा का प्रमाण पत्र देने।

भरतपुर.जिले के रारह निवासी बीएसएफ जवान वीरेंद्र सिंह कुंतल वर्ष 2004 में जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए देश पर बलिदान हो गए। लेकिन नियमों के चलते उस समय जवान को शहीद का दर्जा नहीं दिया गया। अब नियमों में बदलाव हुआ तो 18 साल बाद बीएसएफ के जवान वीरेंद्र कुंतल को शहीद का दर्जा और वीरांगना को सम्मान मिला। शुक्रवार को बीएसएफ के अधिकारी शहीद वीरेंद्र कुंतल के घर पहुंचे और उनकी वीरांगना को प्रमाण पत्र देकर सम्मान प्रदान किया। अब शहीद वीरेंद्र के परिवार को वो सभी लाभ मिलेंगे, जो शहीद के परिवार को नियमानुसार मिलते हैं।

मस्जिद में छुपे थे आतंकी

बीएसएफ जवान वीरेंद्र सिंह कुंतल 1994 में बीएसएफ में भर्ती हुए थे। 2004 में जवान 52 बीएसएफ बटालियन में जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में तैनात थे। 9 जून 2004 को रात के समय मस्जिद में आतंकवादी होने की सूचना मिली। बीएसएफ की यूनिट तुरंत मौके पर पहुंची। सर्च ऑपरेशन के दौरान मस्जिद में छुपे आतंकवादियों ने बीएसएफ के जवानों पर गोलीबारी शुरू कर दी, जिसमें जवान वीरेंद्र सिंह कुंतल की मौत हो गई। 

नहीं मिला था शहीद का दर्जा

जवान के घर में पत्नी सुमन देवी, एक बेटा और बेटी हैं। जिस समय जवान वीरेंद्र सिंह कुंतल की आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान मौत हुई उस समय तक पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों को शहीद का दर्जा नहीं दिया जाता था। जिसके कारण आंतकवादियों से लोहा लेने के बाद शहीद वीरेंद्र कुंतल को शहीद का दर्जा नहीं दिया गया। लेकिन अब नियमों में बदलाव के बाद बीएसएफ के जवानों को भी शहीद का दर्जा दिया जाने लगा है। 

प्रमाण पत्र लेकर पहुंचे अधिकारी

नियमों में बदलाव के बाद जब पैरामिलिट्री के जवानों को शहीद का दर्जा दिया जाने लगा है तो शुक्रवार को 178 बीएसएफ बटालियन के कमांडेंट मनोज कुमार भरतपुर शहर के कोतवाली क्षेत्र स्थित जवान के घर पहुंचे। यहां पर वीरांगना सुमन देवी को जवान वीरेंद्र सिंह कुंतल के शहीद का प्रमाण पत्र दिया गया। कमांडेंट मनोज कुमार ने बताया कि अब शहीद वीरेंद्र सिंह कुंतल के परिवार को शहीद को दी जाने वाली सभी सुविधाएं और लाभ मिलेगा।