सार

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सोमवार को बीकानेर के दौरे पर पहुंची। उनका यह दौरा पार्टी की तरफ से घोषित कार्यक्रम नहीं था। बताया जा रहा है कि यह उनका देव दर्शन के लिए निजी टूर बताया था। हालांकि उनका यह दौरा खासा चर्चा में है।

बीकानेर. राजस्थान में करीब 2 सप्ताह तक चली कांग्रेस पार्टी की सियासी घमासान अब थमती सी नजर आ रही है। लेकिन अब विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी में बगावत के सुर शुरू हो चुके हैं। ऐसा ही मामला अब राजस्थान में देखा जा रहा है। जहां पार्टी की सीनियर लीडर और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पार्टी से अलग होती नजर आ रही है। वसुंधरा ने कल पार्टी के बिना बड़े नेताओं और संगठन के बिना निर्धारित किए कार्यक्रम के बावजूद बीकानेर में कई बड़ी सभाएं की। जिनमें हजारों की संख्या में लोग मौजूद हुए।

जानिए क्या हैं वसुंधरा राजे के दौरे के सियासी मायने
वसुंधरा राजे के इस दौरे के अब कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। हालांकि अभी तक बीजेपी में यह तय नहीं हो पाया है कि अगला विधानसभा चुनाव किस चेहरे पर लड़ा जाएगा। लेकिन वसुंधरा राजे ने एक बार यह दौरा कर मुख्यमंत्री की दौड़ में अपनी दावेदारी करते हुए पब्लिक और पार्टी को यह संदेश दे दिया है। दरअसल मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का कल का दौरा धार्मिक दर्शन का दौरा था। लेकिन इसके बाद भी उन्होंने कई सभाएं की।

अमित शाह के साथ सभी नेता एक मंच पर दिखे थे
राजनीति के विश्वसनीय सूत्रों की माने तो वसुंधरा राजे की इन सभाओं का जिम्मा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी, पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत और यूनुस खान को था। जिन्होंने इसके लिए भीड़ जुटाने के लिए बीकानेर में कई सभाएं भी की। बीते दिनों बीजेपी की यह फूट तब सामने आई थी जब पार्टी के कार्यक्रमों से वसुंधरा राजे ने दूरी बना ली। लेकिन हाल ही में जब अमित शाह जोधपुर दौरे पर आए तो पार्टी के सभी नेता एक मंच पर दिखे।

भाजपा आलाकमान का डबल गेम
राजस्थान में भाजपा का मुख्यमंत्री पद के लिए प्रबल दावेदार भले ही अभी सतीश पूनिया को बताया जा रहा हो। लेकिन पार्टी आलाकमान का विश्वास अभी वसुंधरा राजे पर ही है। क्योंकि वसुंधरा राजे कई बार चुनाव के पहले पार्टी से बिछड़े हुए नेताओं को भी एक कर चुकी है। कल बीकानेर में भी कुछ ऐसा ही हुआ जहां पार्टी से निष्कासित हुए पूर्व मंत्री भाटी को वसुंधरा राजे ने अपनी सभा में शामिल किया। अब यदि आलाकमान वसुंधरा राजे को नजरअंदाज करता है तो पार्टी के कई बड़े नेता वसुंधरा राजे खेमे के साथ ही रहेंगे। ऐसे में चुनाव में भाजपा को अंदरखाने बड़ा नुकसान हो सकता है।