सार

राजस्थान की राजधानी जयपुर के ग्रेटर नगर निगम ग्रेटर की मेयर सौम्या गुर्जर ने आज तीसरी बार मेयर कुर्सी संभाली। कुर्सी संभालते ही कहा कि सरकार ने उन्हें बहुत प्रताड़ित किया है।  समय आने पर वह इसका जवाब भी देंगे ।

जयपुर. यह सौम्या गुर्जर है ,जो जयपुर ग्रेटर से मेयर है । इन्होंने सबसे पहले 13 नवंबर 2020 को मेयर की कुर्सी संभाली थी,  उसके बाद विवाद हो गए और उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी।  फिर से 2 फरवरी 2022 को कुर्सी संभाली फिर से विवाद हो गए और फिर से कुर्सी छोड़नी पड़ी।  तीसरी बार इस कुर्सी के लिए चुनाव होने जा रहे थे , चुनाव हो भी गए थे परिणाम आने ही वाला था इससे ठीक पहले इन्होंने वापस से धांसू एंट्री की और अब आज तीसरी बार कुर्सी संभाली है । भारतीय जनता पार्टी से आने वाली यह मेयर राजस्थान की पहली ऐसी महिला हैं जिन्हें इस तरह के घटनाक्रम का सामना करना पड़ा है।  राजस्थान में पहली बार ऐसा हुआ है कि मेयर का चुनाव भी हो गया लेकिन परिणाम नहीं आए और दो महिलाएं जिनमें से एक मेयर बनते बनते रह गई।

पूरी कहानी बेहद रोचक और उतार-चढ़ाव से भरी हुई 
 दरअसल, दूसरी बार जब विवाद हुआ तो सौम्या गुर्जर को निलंबित कर दिया गया था  वह अपने निलंबन को चैलेंज करने कोर्ट पहुंची और उसके बाद कोर्ट ने उन्हें यह मौका दिया कि वह भी अपना पक्ष रखें। इस बीच राजस्थान सरकार ने राज्य चुनाव आयोग को मेयर के लिए चुनाव कराने के लिए कहा और चुनाव आयोग ने 10 नवंबर को चुनाव करा भी दिए। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने अपनी-अपनी महिला प्रत्याशी उतारे । 146 पार्षदों ने वोट किया और उसके बाद परिणाम आने से ठीक पहले सौम्या गुर्जर का लेटर आ गया कि उनका निलंबन रद्द किया जाता है।  उधर चुनाव आयोग को भी यह सूचना भेज दी गई की मेयर के चुनाव की प्रक्रिया जिस स्तर पर चल रही है उसे तुरंत प्रभाव से रोक दिया जाए।  चुनाव में मतगणना की जा रही थी , लेकिन बाद में मतपत्रों को  पेटी में सील कर दिया गया। 

बिना चुनाव लड़े ही दो जनों को हराकर मेयर बनी  सौम्या गुर्जर 
 आज सौम्या गुर्जर फिर से महापौर की कुर्सी पर बैठी है । उन्होंने कुर्सी संभालते ही कहा कि सरकार ने उन्हें बहुत प्रताड़ित किया है।  समय आने पर वह इसका जवाब भी देंगे । उन्होंने कहा कि करवा चौथ जैसा त्यौहार जो सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे बड़ा होता है , वह त्यौहार इसी सरकार के कारण खराब हो गया । मेयर ने कहा कि यह जयपुर की जनता की जीत है और बुजुर्गों का आशीर्वाद है जो हर बार सरकार की प्रताड़ना के बाद में और ज्यादा ताकतवर होकर वापस लौटी है । उन्होंने अंत में यही दोहराया कि सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं.....।

यह भी पढ़ें-जयपुर में चल रहा था मेयर का चुनाव, तभी हुई बर्खास्त महापौर की धांसू एंट्री और बदल गया सब कुछ