सार
राजस्थान में कोरोना के चलते दो साल बाद 7 हजार से ज्यादा दुकानदारों को मिले अस्थायी लाइसेंस, एक सौ पचास से ज्यादा स्थायी कारोबारी। 5 हजार करोड़ फैला पटाखा करोबार, ग्रीन फायर क्रेकर के नाम पर 3 गुना तक बढ़ गए दाम।
जयपुर. राजस्थान के लिए ये दिवाली खास है। इस दिवाली राजस्थान में इतना बारूद बिका है जितना आज तक नहीं बिका हो। एक तो बारूद का ढेर उपर से कीमती दो से तीन गुना तक ज्यादा.....। इस दिवाली करीब पांच हजार करोड़ रुपयों के पटाखे बेचे गए हैं राजस्थान में। पहली बार उन सभी लोगों को लाइसेंस जारी कर दिए गए हैं जिन्होनें डिमांड की थी। सात हजार से भी ज्यादा लाइसेंस पूरे प्रदेश में जारी किए गए हैं। सबसे ज्यादा जयपुर मे करीब सोलह सौ लाइसेंस दिए गए हैं।
इस तरह से समझें बारूद का पूरा गणित
दरअसल हर साल की तरह इस साल भी हर दुकानदार को पंद्रह सौ किलो बारूद एक समय में स्टोर करने की इजाजद दी गई है। जिन लोगों के पास पटाखों के स्थायी लाइसेंस हैं उन लोगों को हर समय करीब एक दो लाख किलो बारूद स्टोर करने की परमिशन हैं। हांलाकि ऐसे कारोबारी प्रदेश में सिर्फ एक सौ पचास ही हैं जो पूरे साल दुकानें खोलते हैं और पटाखे बेचते हैं। लाइसेंसी दुकानदारों के अलावा प्रदेश में करीब पंद्रह हजार से भी ज्यादा दुकानें अवैध तरीके से बिना लाइसेंस लिए संचालित की जा रही है। अगर लाइसेंसी दुकानों का ही स्टॉक कैल्कुलेट किया जाए तो यह करीब तीन करोड़ किलो बारूद से भी ज्यादा पहुंचता है। ऐसे में इस दिवाली राजस्थान में तीन लाख करोड़ रपुए से भी ज्यादा का बारूद फटने को तैयार हैं ।
ग्रीन पटाखों के नाम पर कीमतें सातवें आसमान पर, अब तक की सबसे ज्यादा
अब बात करें ग्रीन पटाखों की....। ग्रीन पटाखों को लेकर कोई विशेष जानकारी इस बार भी जारी नहीं की गई है। दुकानदार ही बता रहे हैं कि फलां कंपनी के पटाखे ग्रीन पटाखे हैं। इनसे नुकसान नहीं होगा। लेकिन ये पटाखे जेब को नुकसान पहुंचा रहे हैं। जयपुर में सालों से पटाखों का कारोबार कर रहे अमर चंद का कहना है कि ग्रीन पटाखों के नाम पर तीन बड़ी कंपनियों ने महंगे पटाखे निकाले हैं। दावा है कि हानिकारक कैमिकल, गैसें और अन्य हानिकारक पदार्थ इसमें से नहीं निकलेंगे। लेकिन ये करीब तीस फीसदी तक ज्यादा महंगे हैं। दस से पंद्रह पटाखों, फुलझड़ी या अन्य कोई ग्रीन पटाखा का पैकेट पांच सौ रुपए से कम नहीं है। जबकि सामान्य कंपनियों के पटाखों के पैकेट की शुरुआत एक सौ पचास रुपए से शुरु है।
राजस्थान में भी पटाखों की फैक्ट्रियां हैं। इनमें गंगानगर और भीलवाड़ा की फुलझडी फेमस है। अजमेर, अलवर और भरतपुर में हवाई आतिशबाजी की कई फैक्ट्रियां हैं।
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