सार

राजस्थान में रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं। इससे राज्य के अस्पतालों में आपात स्थिति समेत चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। हड़ताल को करीब पांच दिन हो गए हैं इस दौरान करीब एक हजार से भी ज्यादा सर्जरी टाली जा चुकी है।
 

जयपुर. त्योंहार से ठीक पहले राजस्थान में मेडिकल सुविधाएं चरमरा गई है। जयपुर शहर में रेजीडेंट डॉक्टर्स की चल रही हड़ताल अब प्रदेश के अन्य जिलों में फैल रही है। सरकारी डॉक्टर काम छोड़कर सरकार के विरोध में उतर रहे हैं और अब हजारों डॉक्टरों के एक साथ विरोध में उतरने के कारण सरकार भी परेशान नजर आ रही है। अब अतिरिक्त डॉक्टर्स का बंदोबस्त किया जा रहा है और सरकारी अफसरों की कमेटी बनाई जा रही है जो इन डॉक्टर्स की हडताल को खत्म करावे। नोर्थ इंडिया के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसएमएस अस्पताल से यह हड़ताल शुरु हुई है और अब अन्य शहरों में सरकारी अस्पतालों तक पहुंच रही है। 

ये मांगे हैं रेजीडेंट डॉक्टर्स की
दरअसल, राजस्थान सरकार मेडिकल रेजीडेंट्स के लिए बॉड नीति लाई है। इसके अनुसार रेजीडेंट का कहना है कि उनको नुकसान होगा और उनकी प्रैक्टिस पर भी फर्क पडेगा। इस बॉड नीति को निरस्त करने समेत अन्य कई मांगे हैं रेजीडेंट डॉक्टर्स की।  रेजिडेंट यूनियन से एसएमएस मेडिकल कॉलेज में कॉलेज के प्रधानाचार्य एवं नियंत्रक डॉ राजीव बगरहट्टा,  आर यू एच एस के वाइस चांसलर डॉ सुधीर भंडारी की उपस्थिति में जार्ड के साथ बैठक हुई। विभाग ने अस्पताल की सुविधाएं दुरुस्त करने की कोशिश की लेकिन वे कामयाब नहीं हो रहे हैं। सरकार ने हाल मरीजों की तिमारदारी के 111 एपीओ चल रहे डॉक्टर्स तक को फिर से अस्पतालों में लगा दिया है। लेकिन फिर भी अस्पताल में बंदोबस्त सही नहीं हो रहे हैं। जयपुर के बाद अजमेर, उदयपुर, अलवर समेत अन्य शहरों के रेजीडेंट सरकार के खिलाफ उतर रहे हैं। 

हर दिन एक लाख से ज्यादा मरीज आते हैं अस्पताल
प्रदेश के बारह से ज्यादा बड़े अस्पतालों और अन्य छोटे अस्पतालों में हर दिन एक लाख से ज्यादा मरीज आते हैं। मौसमी बीमारियां चल रही हैं इस कारण मरीजों की संख्या और ज्यादा बढ़ रही है। ऐसे में मौसमी बीमारियों का मुकाबला बचे खुचे डॉक्टर और सीनियर डॉक्टर करने में लगे हुए हैं। हड़ताल को करीब पांच दिन हो गए हैं इस दौरान करीब एक हजार से भी ज्यादा सर्जरी टाली जा चुकी है।