सार

राजस्थान के जयपुर के शहीद हवलदार सत्यपाल की जम्मू कश्मीर में हुए आंतकी हमले में सिर में गोली लगने के कारण इलाज के दौरान 10 वें दिन मौत से जूझते हुए अमर हो गए। मंगलवार 23 अगस्त के दिन उनकी अंतिम विदाई में हजारों लोग शामिल हुए।

झुझुनूं . जम्मू कश्मीर के राजौरी में  पिछले दिनों हुए आतंकी हमले में घायल राजस्थान के झुझुनूं जिले के शहीद हवालदार सत्यपाल को आज अंतिम विदाई देने हजारों लोग आ पहुंचे। दस , बारह और पंद्रह साल के बच्चों ने जब पिता को तिरंगे में लिपटे देखा तो खुद को रोक नहीं सके। पिता से लिपटकर पंद्रह साल की बेटी इतना रोई कि वहां खड़े हजारों लोगों को भी रूला गई। बाद में जब शहीद की वीरांगना ने पति को अंतिम विदाई दी तो कुछ देर के लिए खामोशी छा गई। उसके बाद वंदे मातरम और शहीद सपताल के लिए इतने नारे लगे की आकाश गूंज उठा। शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए हजारो लोग आज जमा हुए थे। झुझुनूं जिले के जैतसर गांव में शहीद सतपाल का सैन्य सम्मान से अंतिम संस्कार किया गया। 

सिर में गोली लगी थी, फाइटर की तरह 10 दिनों तक जूझते रहे
दरअसल करीब दस दिन पहले राजौरी के परगल में हुए आतंकी हमले में हवलदार सतपाल सिंह के सिर में गोली लगी थी। उसके बाद उनको उधमपुर के आर्मी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दस दिन कि इलाज जारी रहा और वे दस दिनों तक मौत को हराने की कोशिश करते रहे। लेकिन उसके बाद अमर हो गए। दस दिन से वे वेंटिलेटर पर थे। दस अगस्त को आतंकियों ने सेना के कैंप में घुसकर फायरिंग की थी। 

पिता और चाचा-ताऊ मिलाकर 7 भाई, सभी सेना में
सतपाल सिंह की जड़े सेना में इतनी मजबूत थी कि उनके रगों में ही सेना का शौर्य बहता था। पिता भी सेना में थे। चाचा, ताऊ और पिता मिलाकर सात भाई थे, सभी सेना में । इनमें से चार अब दुनिया छोड़कर जा चुके हैं। पिता और चाचा ताऊ ने पूरा फर्ज निभाया और उसके बाद अब बेटों ने इस फर्ज को निभाने का जिम्मा ले लिया। सतपाल के तीन बच्चे हैं। सबसे बड़ी पंद्रह साल की बेटी  प्रीति है और उसका छोटा भाई बारह साल का शांतनू हैं। बड़े भाई सूबेदार राजेश सिंह भी फौज में हैं। छोटे भाई कुलदीप वकील हैं। उनकी पत्नी नितेश देवी ग्रहणी हैं।

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