सार

एक सप्ताह पहले 16 जून को आसाराम की अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। बेचैनी और यूरिनल फंक्शन व सांस लेने में दिक्कत होने पर जेल से अस्पताल लाया गया था। शुरूआत में डॉक्टरों ने  इमरजेंसी में मेडिकल जांच होने के बाद उसे कोरोना वार्ड के पोस्ट कोविड-19 वार्ड में एटमिट किया था। 

जोधपुर (राजस्थान). नाबालिग से यौन शोषण के आरोप में  जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम को एम्स से डिस्चार्ज कर फिर से कड़ी सुरक्षा के बीच वापस जेल में भेज दिया है। हलांकि, अस्पताल के बाहर आसाराम के समर्थकों ने हंगमा करते हुए तोड़-फोड़ की। लेकिन पुलिस ने लाठी-डंडे का प्रयोग कर मामले को शांत कराया।

तमाम चेकअप और इलाज कर वापस जेल भेजा
दरअसल, एक सप्ताह पहले 16 जून को आसाराम की अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। बेचैनी और यूरिनल फंक्शन व सांस लेने में दिक्कत होने पर जेल से अस्पताल लाया गया था। शुरूआत में डॉक्टरों ने  इमरजेंसी में मेडिकल जांच होने के बाद उसे कोरोना वार्ड के पोस्ट कोविड-19 वार्ड में एटमिट किया था। लेकिन बाद में दूसरे वार्ड में भर्ती कर दिया था। तमाम चेकअप और इलाज करने के बाद दोबारो ठीक करके वापस जेल भेज दिया। बताया जाता है कि इस बीच आसाराम ने पहले इलाज कराने से काफी ना-नुकर किया । 

कुछ दिन पहले भी बिगड़ी थी तबीयत
बता दें कि पहले से ही आसाराम को कई बीमारियां हैं, उनके घुटने काम नहीं कर रहे हैं। बीपी की बीमारी है और बेचैनी भी होती रहती है। इससे पहले उसकी मई के महीने में भी तबीयत खराब हुई थी। जहां आसाराम का ऑक्सीजन लेवल कम हो गया था। इस दौरान वह  सिर्फ आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से ही इलाज करवाने पर अड़ गए थे। जिसक बाद आयुर्वेद यूनिवर्सिटी से डॉक्टर अरुण त्यागी को बुलाया गया और इलाज शुरू किया गया। फिर वहां से डिस्चार्ज कर वापस सेंट्रल जेल भेज दिया गया था।

हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी जमानत अर्जी
कुछ दिन पहले ही हाईकोर्ट ने आसाराम की अंतरिम जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक हाईकोर्ट के आदेश पर जोधपुर एम्स में गठित मेडिकल बोर्ड ने आसाराम की तबीयत को एकदम सही करार दिया था। रिपोर्ट में कुछ मामलों में इलाज की आवश्यकता बताई थी। इस रिपोर्ट के आधार पर राजस्थान हाईकोर्ट ने उसकी दो माह की अंतरिम जमानत देने की याचिका को खारिज कर दिया।