सार
राजस्थान के रहने वाले ने इस जवान ने भारत -पाकिस्तान बॉर्डर पर 1971 के युद्ध में विदेशी आक्रमणकारियों को सबक सिखाने में योगदान दिया था। सांस बीमारी के चलते भैरव सिंह ने आज अंतिम सांस ली। इस खबर के बाद पूरे प्रदेश में शोक की लहर है।
जोधपुर (jodhpur). शायद ही कोई होगा जिसने बॉर्डर फिल्म नहीं देखी होगी। कई लोग तो ऐसे होंगे जिन्होंने इस फिल्म को एक बार नहीं कई बार देखा होगा। बॉर्डर फिल्म में सुनील शेट्टी ने जिस भैरव सिंह राठौड़ का रोल किया था उन भैरव सिंह राठौड़ की आज राजस्थान में देहांत हो गया। वह अस्पताल में भर्ती थे और सांस की बीमारी के चलते उन्हें 14 दिसंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 3 दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनसे बातचीत की थी और उनके परिवार के सदस्यों से उनकी कुशल पूछी थी। लेकिन आज दोपहर उन्होंने अंतिम सांस (last breath) ली। वह जोधपुर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ( AIIMS) में भर्ती थे। उनकी मौत के बाद से पूरे राजस्थान में शोक की लहर है।
कौन थे भैरव सिंह राठौड़ जिन से डरती थी पाकिस्तानी फोर्स
दरअसल भारत-पाकिस्तान की सीमा पर राजस्थान के जैसलमेर में स्थित लोंगे वाला चौकी को पाकिस्तान से छीन कर वापस हिंदुस्तान के नाम करने वाले इन सच्चे सपूत का नाम भैरव सिंह राठौड़ था। भैरव सिंह राठौड़ जोधपुर के शेरगढ़ में स्थित सोलंकियातला गांव के रहने वाले थे। वह 1971 में हुए लोंगे वाला युद्ध के समय जैसलमेर में स्थित लोंगे वाला पोस्ट पर तैनात थे। उस समय इस चौकी पर अचानक पाकिस्तान की टुकड़ियों ने हमला कर दिया था। ऐसे में 120 सैनिकों की लीड करते हुए मेजर कुलदीप सिंह ने लोंगे वाला पोस्ट को वापस हासिल करने की कोशिश की थी।
120 सैनिकों मे शामिल थे भैरव सिंह
इस दौरान 120 जांबाज सिपाहियों में भैरव सिंह राठौड़ भी शामिल थे। उन्होंने अपनी राइफल से करीब 15 से 20 पाकिस्तानी फौजियों को मार गिराया था। वे 1963 में बीएसएफ में भर्ती हुए थे और उसके बाद 1987 में उन्होंने रिटायरमेंट लिया था। उसके बाद वे अपने गांव में ही रह रहे थे।
मिले कई अवार्ड, बनाई गई बॉलीवुड मूवी
भैरव सिंह राठौड़ को सरकार ने कई पुरस्कार भी दिए थे। उनकी ख्याति उस समय और भी बढ़ गई जब बॉर्डर फिल्म बन रही थी और इस फिल्म में भैरव सिंह राठौर का किरदार निभाने वाले सुनील शेट्टी और अन्य अभिनेताओं ने उनसे मुलाकात की थी और उनके साथ कई दिन गुजारे थे। भैरव सिंह राठौड़ की मौत के बाद अब पूरे जोधपुर के साथ-साथ पूरे राजस्थान में दुख का माहौल है। उनके परिवार के सदस्यों का कहना है कि उनके अंतिम संस्कार की तैयारी की जा रही है।
भैरव सिंह राठौर रिटायरमेंट के बाद अपने गांव में किसानों की तरह जीवन यापन कर रहे थे। वह किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं थे लेकिन फिर भी बेहद सादा जीवन जीते थे । सुबह 5:00 बजे उठने के साथ उनके दिन की शुरुआत होती थी जो रात 9:00 बजे खत्म होती थी । उन्हें सेना में अपने विशेष योगदान के लिए सेना मेडल से नवाजा गया था।