सार
राजस्थान में सीएम गहलोत के नए मंत्रिमंडल का शपथग्रहण कार्यक्रम पूरा हो गया। कुल 15 मंत्रियों ने शपथ ली। इस फेरबदल से पहले सियासी घमासान छिड़ गया है। बताया जा रहा है कि मंत्री पद ना मिलने से गहलोत गुट के कुछ विधायक नाराज हो गए हैं। कुछ नाराज विधायकों ने मुख्यमंत्री का व्हाट्सएप ग्रुप भी छोड़ दिया है।
जयपुर : राजस्थान (rajasthan) में रविवार को करीब-करीबी डेढ़ साल बाद सियासी संकट समाप्त हो गया है। तीन साल बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल किया गया और अब गहलोत सरकार नए रूप में सामने आ गई है। मंत्रिमंडल विस्तार में 11 कैबिनेट और 4 राज्य मंत्रियों को जगह दी गई है। इस विस्तार के साथ ही राजस्थान में मंत्रिमंडल के सभी 30 पद भर गए हैं। मंत्रिमंडल विस्तार से पहले शनिवार को हुई कैबिनेट की बैठक में सभी मंत्रियों के इस्तीफे ले लिए गए थे। इससे पहले सरकार और संगठन में दोहरी जिम्मेदारी संभाल तीन मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था। इनमें राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा और चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा शामिल थे। इनके पास मंत्री पद के अलावा संगठन में बड़ी जिम्मेदारियां हैं। ये तीनों अब संगठन में काम करेंगे।
नए कैबिनेट मंत्री
हेमाराम चौधरी
सबसे पहले हेमाराम चौधरी ने मंत्री पद की शपथ ली है। हेमाराम चौधरी गुड़ामालानी सीट से विधायक हैं। वो 6 बार विधायक रहे हैं। इनके पास मंत्री से लेकर नेता विपक्ष तक का अनुभव है। हेमाराम जाट समाज से आते हैं। इन्हें सचिन पायलट का करीबी माना जाता है।
महेंद्रजीत सिंह मालवीय
महेंद्रजीत सिंह मालवीय ने कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली है। महेंद्रजीत बागीदौरा सीट से विधायक हैं। इससे पहले भी ये मंत्री रह चुके हैं। महेंद्रजीत अनुसूचित जनजाति से आते हैं। महेंद्रजीत राजस्थान कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी हैं।
रामलाल जाट
रामलाल जाट को अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। रामलाल जाट पहले भी मंत्री रह चुके हैं. रामलाल जाट मांडल सीट से विधायक हैं। ये चौथी बार के विधायक हैं। रामलाल जाट समाज से आते हैं।
महेश जोशी
महेश जोशी ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली है। जोशी हवामहल विधानसभा सीट से तीन बार के विधायक हैं। ये ब्राह्मण समाज से आते हैं। महेश जोशी कांग्रेस के मुख्य सचेतक हैं। ये राजस्थान कांग्रेस सेवा दल के अध्यक्ष रह चुके हैं।
विश्वेनद्र सिंह
विश्वेनद्र सिंह ने भी गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। विश्वेनद्र सिंह डीग-कुम्हेर सीट से विधायक हैं। कांग्रेस से पहले विश्वेनद्र सिंह बीजेपी में थे। इसके अलावा विश्वेनद्र सिंह भरतपुर लोकसभा सीट से पूर्व सांसद भी हैं। पिछली दो बार से डीग-कुम्हेर सीट से विधायक हैं।
रमेशचंद्र मीणा
रमेशचंद्र मीणा को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। ये सपोटरा सीट से विधायक हैं, मीणा समाज से आते हैं। पिछले दो बार के विधायक हैं। ये करौली जिले से आते हैं। माना जाता है कि रमेशचंद्र मीणा सचिन पायलट के करीबी हैं। 2008 में बसपा से जीते, फिर कांग्रेस की सरकार बनने के बाद खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में मंत्री बने। पायलट खेमे के बगावत के बाद मंत्री पद से बर्खास्त किया गया था।
ममता भूपेश बैरवा
ममता भूपेश बैरवा ने को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। राज्यमंत्री ममता भूपेश को प्रमोट कर कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। ये सिकराय सीट से विधायक हैं। ममता भूपेश बैरवा अनुसूचित समाज से आती हैं। इससे भी गहलोत सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। ये झुंझुनू जिले से आती हैं।
भजनलाल जाटव
भजनलाल जाटव वैर सीट से कांग्रेस के विधायक हैं। ये अनुसूचित जाति से आते हैं। पहले कृषि राज्य मंत्री के पद पर काम कर रहे भजनलाल जाटव को फिर से मंत्रिमंडल में जगह मिली है। राज्यमंत्री से अब कैबिनेट मंत्री के तौर पर प्रमोट किया गया है। ये भरतपुर जिले से आते हैं
टीकाराम जूली
राजस्थान के अलवर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में आने वाले टीकाराम जूली राज्यमंत्री के तौर पर मंत्रिमंडल में जगह बनाए हुए थे। अब कैबिनेट विस्तार में उन्हें प्रमोट किया गया है। जूली के पास पहले श्रम विभाग की जिम्मेदारी थी। ये अलवर ग्रामीण सीट से विधायक हैं।
गोविंद राम मेघवाल
मास्टर भंवर लाल मेघवाल के निधन के बाद कैबिनेट में कोई दलित मंत्री नहीं है। ऐसे में गोविंद राम मेघवाल, महेंद्रजीत सिंह मालवीय और ममता भूपेश को कैबिनेट में शामिल किया गया है। गोविंद राम मेघवाल खाजूवाला सीट से विधायक हैं। ये पहले बीजेपी का हिस्सा भी रह चुके हैं। दूसरी बार के विधायक हैं।शकुंतला रावत
अलवर के बानसूर सीट से आने वाली शकुंतला रावत भी मंत्रिमंडल में शामिल हुई हैं। दो बार बानसूर सीट से जीतने वाली शकुंतला पार्टी के भरोसेमंदों में से एक हैं। शकुंतला राजस्थान महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रह चुकी हैं। इसके अलावा ये राजस्थान प्रदेश कांग्रेस की पूर्व सचिव भी हैं।
ये बने राज्यमंत्री
जाहिदा खान
जाहिदा खान ने राज्यमंत्री पद की शपथ ली। जाहिदा कामां से विधायक हैं। दूसरी बार मंत्री बनी हैं। अशोक गेहलोत खेमे की मानी जाती हैं।
राजेंद्र सिंह गुढ़ा
राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने राज्यमंत्री पद की शपथ ली है। उदयपुरवाली से विधायक राजेंद्र गुढ़ा पर्यटन मंत्री रह चुके हैं और गहलोत खेमे से हैं।
मुरारीलाल मीणा
मुरारीलाल मीणा ने ली राज्यमंत्री के रूप में शपथ। दौसा से विधायक मीणा सचिन पायलट खेमे से हैं। पहले भी मंत्री रह चुके हैं मीणा।
बृजेंद्र सिंह ओला
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के मंत्री पद से इस्तीफे के बाद बृजेंद्र सिंह ओला शेखावाटी संभाग में पार्टी की जगह बनाए रखने में महत्वपूर्ण कड़ी के तौर पर देखा जा रहे हैं। पायलट समर्थक ओला शेखावाटी के बड़े जाट नेता हैं। ये पहले भी मंत्री रह चुके हैं। ये झुंझनू सीट से विधायक हैं। बृजेंद्र ओला ने राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली। सर्वश्रेष्ठ विधायक का पुरस्कार भी जीत चुके हैं।
निर्दलीय को जगह नहीं
गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में 13 निर्दलीय विधायकों में से एक को भी जगह नहीं मिली है। पिछले साल सियासी संकट के समय निर्दलीय विधायकों ने सरकार को बचाने में अहम भूमिका निभाई थी। उसके बाद ही हाल ही में सीएम अशोक गहलोत ने एक कार्यक्रम में कहा था कि वे निर्दलीयों विधायकों के सहयोग को कभी नहीं भूल सकते लेकिन अब मंत्रिमंडल में निर्दलीय विधायकों को जगह नहीं मिलने से उनमें मायूसी छायी हुई है। उनकी नाराजगी की खबरें भी सामने आ रही हैं।
कुछ नेता नाराज
कुछ नेता शपथ ग्रहण में शामिल नहीं हुए। साफिया जुबेर और जौहरी लाल मीणा ने शपथ ग्रहण का बहिष्कार कर दिया है। साफिया रामगढ़ अलवर से और जौहरी लाल मीणा राजगढ़ अलवर से विधायक हैं। साफिया का कहना है कि महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा। वहीं जौहरी लाल मीणा ने केबिनेट में टीकाराम जूली को प्रमोट किए जाने का विरोध किया है। उधर सीएम अशोक गहलोत ने कहा है कि जो लोग कैबिनेट में शामिल नहीं हो रहे हैं, उनका गवर्नेंस में कैबिनेट में शामिल होने वाले नेताओं से कम योगदान नहीं है। उन्हें एडजेस्ट किया जाएगा।
पार्टी जो भूमिका देगी निभाऊंगा - पायलट
इधर, सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने कहा है कि पार्टी उन्हें जो भी भूमिका देगी उसे वो निभाएंगे। उन्होंने 2023 में कांग्रेस की दोबारा सरकार बनने का दावा भी किया है। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल में एससी, एसटी और महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिला है। महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा है। यह भी अच्छे संकेत हैं। कांग्रेस में कोई गुट नहीं है। केवल सोनिया गांधी, राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) के नेतृत्व में सब काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि निर्दलीय और सहयोग कर रहे दलों को साथ आगे लेकर जाएंगे।
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