सार
बंजर भूमि विकास बोर्ड सदस्य पूर्व विधायक घनश्याम मेहर, व्यापार कल्याण बोर्ड सदस्य ज्योति खंडेलवाल और राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के सदस्य करण सिंह उचियारड़ा नाराज बताए जा रहे हैं। इन तीनों ने पद न लेने का फैसला किया है।
जयपुर : राजस्थान (Rajasthan) में विधानसभा चुनाव को महज डेढ़ साल का वक्त बचा है लेकिन कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं लग रहा है। सूबे में पार्टी की भीतरी टकराव कम होने का नाम नहीं ले रही है। यही कारण है कि राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर असंतोष उभर आया है। सचिन पायलट (Sachin Pilot) के समर्थक और चेयरमैन के दावेदार कई नेता मेंबर बनाए जाने से नाराज हो गए हैं। पायलट समर्थक सुशील आसोपा और राजेश चौधरी ने तो मेंबर का पद ही ठुकरा दिया है। दोनों ने पद लेने से साफ-साफ इनकार कर दिया है। सुशील आसोपा ने ट्वीट करके नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने लिखा - मुझे दी गई राजनीतिक नियुक्ति को अस्वीकार करता हूं, क्योंकि मेरी सहमति नहीं ली गई। मैं 42 महीने पहले सरकारी नौकरी छोड़कर पदों के लिए कांग्रेस (Congress) में नहीं आया। जीवन भर निस्वार्थ सेवा करता रहूंगा। इनके साथ ही चार से पांच और नेताओं की नाराजगी की खबर है।
कौन-कौन से नेता नाराज
बंजर भूमि विकास बोर्ड सदस्य पूर्व विधायक घनश्याम मेहर, व्यापार कल्याण बोर्ड सदस्य ज्योति खंडेलवाल और राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के सदस्य करण सिंह उचियारड़ा नाराज बताए जा रहे हैं। इन तीनों ने पद न लेने का फैसला किया है। ज्योति खंडेलवाल जयपुर की पूर्व मेयर रह चुकी हैं। जयपुर शहर सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं। ऐसे में केवल मेंबर बनाए जाने से वे नाराज हैं। घनश्याम मेहर जूनियर नेता के अंडर में मेंबर बनाने पर नाराज हैं। मेहर पिछली बार टोडाभीम से विधायक थे, तब कांग्रेस के केवल 21 विधायक ही जीते थे। कहा जा रहा है कि मेहर भी मेंबर का पद ठुकरा सकते हैं।
इसे भी पढ़ें-Rajasthan Budget 2022: भाजपा विधायक iPhone लौटाएंगे, लोग बोले-'टैक्स का दुर्लभ दुरुपयोग भारत में ही संभव है'
पायलट के सिर्फ दो समर्थकों को अध्यक्ष पद
बता दें कि सोमवार को कांग्रेस में 74 राजनीतिक नियुक्तियां की गई। जिसमें सचिन पायलट के 20 समर्थकों को जगह दी गई लेकिन सिर्फ दो को ही अध्यक्ष का पद मिला। पायलट समर्थक जो भी नेता बोर्ड, निगमों में अध्यक्ष पद के दावेदार थे, उन्हें सिर्फ मेंबर बनाया गया। नाराजगी का बड़ा कारण भी यही माना जा रहा है। 10 फरवरी को की गई नियुक्तियों में भी पायलट समर्थक अध्यक्ष कम थे। जिन्हें मेंबर बनाया गया है, उनमें पशुधन विकास बोर्ड सदस्य कुंदन यादव, वरिष्ठ नागरिक बोर्ड सदस्य आत्माराम गोयल, बंजर भूमि एवं चारागाह विकास बोर्ड सदस्य घनश्याम मेहर, गोवर्धन सिंह चौहान, सुशील आसोपा, पुनीत जांगु, एग्रो इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बोर्ड सदस्य प्रेम पाटीदार, राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण सदस्य करण सिंह उचियारड़ा, स्पोर्ट्स काउंसिल सदस्य आजाद सिंह राठौड़, हरीश यादव, अभिमन्यू पूनियां, राजस्थान खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड सदस्य अजीत यादव, राजस्थान राज्य समाज कल्याण बोर्ड सदस्य चयनिका उनियाल, बीसूका समिति सदस्य राजेश चौधरी और मदरसा बोर्ड सदस्य सईद सउदी का नाम है।
इसे भी पढ़ें-CM गहलोत के एक फैसले से इतना खुश हुआ टीचर, धन्यवाद देने अपने खून से लिखा पत्र, कहा-वो अब प्रधानमंत्री बनेंगे
गहलोत समर्थक भी नाराज
जानकारी मिल रही है कि सिर्फ पायलट समर्थक ही नहीं गहलोत समर्थकों में भी नाराजगी है। समाज कल्याण बोर्ड उपाध्यक्ष मीनाक्षी चंद्रावत भी इससे खुश नहीं हैं। वह विधायक रह चुकी हैं और NSUI की प्रदेश अध्यक्ष भी। समाज कल्याण बोर्ड अध्यक्ष अर्चना शर्मा तो पार्टी में कई पदों पर रह चुकी हैं। चंद्रावत उनके अधीन उपाध्यक्ष बनाने से नाराज हैं। खादी ग्रामाद्योग बोर्ड में सदस्य बनाए गए कांग्रेस नेता अरुण कुमावत भी नाखुश हैं लेकिन वे सियासी मजबूरी के चलते कुछ बोल नहीं पा रहे।
इसे भी पढ़ें-Rajasthan Budget:चुनाव से एक साल पहले गहलोत ने चला मास्टर स्ट्रोक, पुरानी पेंशन बहाल, UP में बना ये बड़ा मुद्दा
इसे भी पढ़ें-Rajasthan Budget 2022:ये रहीं गहलोत सरकार के बजट की मुख्य बातें, इन पर रहा Focus, पढ़िए नई योजना से घोषणा तक