सार

राजस्थान में विधानसभा की स्थिति पर नजर डालें तो कांग्रेस के 108 और बीजेपी के 71 सदस्य हैं। वहीं 13 निर्दलीय, आरएलपी के तीन, माकपा के दो, बीटीपी को दो और आरएलडी का एक सदस्य है। ऐसे में राज्यसभा चुनाव और राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस को इसका फायदा मिलना तय है।

जयपुर : राज्यसभा (Rajya Sabha) की तस्वीर जल्द ही बदलने वाली है। कई सांसदों का कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है। गुरुवार को मार्च से जुलाई के बीच रिटायर हो रहे सदस्यों को विदाई भी दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi), उपराष्ट्रपति वैंकया नायडू (Venkaiah Naidu) और लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला (Om Birla) ने सभी सदस्यों को विदाई दी। कुछ ही महीनों में राज्यसभा में अलग-अलग राज्यों से संख्याबल में भी बदलाव देखने को मिलेगा। राजस्थान (Rajasthan) से कांग्रेस (Congress) का कुनबा बढ़ने वाला है। ऐसे में बीजेपी सदस्यों की संख्या कम होना तय है।

कांग्रेस को फायदा, बीजेपी को नुकसान
राज्यसभा में प्रदेश से चार सांसद रिटायर होने जा रहे हैं। इन सांसदों में ओम प्रकाश माथुर (Om Prakash Mathur), केजे अल्फोंस (KJ Alphons), राजकुमार वर्मा (Ram Kumar Verma) और हर्षवर्द्धन सिंह (Harshvardhan Singh) शामिल हैं।। ये चारों ही सदस्य भारतीय जनता पार्टी (BJP) के हैं। इनका कार्यकाल चार जुलाई तक रहेगा लेकिन चुनाव पहले ही हो जाएंगे। प्रदेश के समीकरण की बात करें तो इस हिसाब से कांग्रेस की दो सीट पर जीत तय मानी जा रही है जबकि बीजेपी को एक सीट पक्की है। जबकि एक सीट पर सियासी घमासान देखने को मिल सकता है। दो साल पहले जब जून, 2020 में राज्यसभा की तीन सीटों पर चुनाव हुए थे तब भी कांग्रेस के खाते में दो सीटें गई थी।

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कांग्रेस का कुनबा बढ़ेगा

राज्यसभा में राजस्थान के सदस्यों की कुल संख्या 10 है। इसमें से बीजेपी के पास सात जबकि कांग्रेस के पास तीन हैं। चुनाव के बाद ये संख्या बदल जाएगी। कांग्रेस सदस्यों की संख्या बढ़कर पांच जबकि बीजेपी की घटकर चार हो जाएगी। अगर चौथी सीट भी कांग्रेस के हाथ लग जाती है तो उसकी मजबूती और बढ़ जाएगी। प्रदेश से वर्तमान में कांग्रेस के जो सदस्य राज्यसभा के लिए चुने गए हैं, उनमें पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह (Manmohan Singh), कांग्रेस संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल (KC Venugopal) और नीरज डांगी हैं। वहीं, बीजेपी के डॉ. किरोड़ी लाल मीणा, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और राजेंद्र गहलोत सदस्य हैं हैं।

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राष्ट्रपति चुनाव में भी दिखेगा असर

इस स्थिति का असर राष्ट्रपति चुनाव में भी देखने को मिलेगा। राजस्थान की बात करें तो यहां 200 विधायक और 35 सांसद हैं। राष्ट्रपति चुनाव की बात करें तो एक सांसद का वोट 708 के बराबर होता है यानी अगर 35 सांसदों की बात की जाए तो यह संख्या 24,700 हो जाएगी जबकि एक विधायक का वोट 129 के बराबर होता है। इस हिसाब से 200 विधायकों का गणित 25,800 तय है। ऐसे में जब कांग्रेस और उसके सहयोगियों की संख्या बीजेपी से ज्यादा है तो इसका फायदा राज्यसभा में जीत के बाद राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस को मिलना तय है।

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