सार
दोनों बुजुर्ग भाइयों बड़े भाई की उम्र 90 साल और छोटे की 75 साल थी। उम्र में तो उनकी फासला था, लेकिन मौत दोनों को एक ही दिन आई। दोनों में गजब का प्यार था, तभी तो उन्होंने शादी भी एक साथ और एक ही मंडप में की थी। बचपन एक साथ बीता, वह कहीं जाते तो एक साथ ही जाते थे। अब दोनों ने एक ही दिन अपने प्राण त्याग दिए।
सिरोही (राजस्थान). अभी तक आपने दो भाइयों के बीच के प्रेम और समर्पण की कहानियां तो बहुत सुनी होंगी। लेकिन राजस्थान के सिरोही से एक ऐसे दो बुजुर्ग भाइयों की अनूठी कहानी सामने आई है, जिसे जानकर हर कोई भावुक हो रहा है। पूरे इलाके में इनके लगाव और प्यार चर्चे हो रहे हैं। जिन्होंने मरते दम तक एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ा। यानि एक ही दिन और एक ही समय दोनों की सांसे थम गईं। हैरानी की बात यह है कि दोनों की शादी भी एक ही दिन हुई थी और दोनों की मौत भी एक ही दिन।
आसपास के गांव के लोग इनके प्यार की खाते थे कसमें
दरअसल, दो भाइयों की अनूठी प्रेम कहानी सिरोही जिले के डांगराली गांव की है। जहां रावताराम और हीराराम देवासी में बचपन से ही आपस में इतना प्रेम था कि उनके गांव ही नहीं आसपास के गांव के लोग भी उनके प्रेम की मिसाल देते थे। लेकिन संयोग बस तीन दिन पहले ही महज तीन से चार मिनट के अंतराल में दोनों ने एक ही दिन अपने प्राण त्याग दिए।
एक ने स्कूल छोड़ा तो दूसरे ने भी पढ़ाई छोड़ दी थी
दोनों बुजुर्ग भाइयों बड़े भाई की उम्र 90 साल और छोटे की 75 साल थी, उम्र में तो उनकी फासला था, लेकिन मौत दोनों को एक ही दिन आई। दोनों में गजब का प्यार था, तभी तो उन्होंने शादी भी एक साथ और एक ही मंडप में की थी। बचपन एक साथ बीता, वह कहीं जाते तो एक साथ ही जाते थे। इतना ही नहीं जितनी भी 2-3 कक्षा तक पढ़ाई की वह साथ की, एक ने स्कूल छोड़ा तो दूसरे ने भी छोड़ दिया था। 29 जनवरी सुबह करीब 8 से 9 के बीच दोनों भाई एक ही दिन जिंदगी को अलविदा कह गए।
दोनों की एक साथ मौत पर रहस्य बना हुआ है
बता दें कि दोनों के जाने से डांगराली गांव में मातम का माहौल है। गांव के बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक उनके प्यार को याद कर आंसू बहा रहा है। जब एक साथ इनकी अर्थियां उठीं तो परिवार बिलख पड़ा। दोनों भाइयों का अंतिम संस्कार भी एक ही जगह एक साथ किया गया है। इस तरह से दोनों भाइयों का एकसाथ दुनिया को अलविदा कहना ग्रामीणों के लिए रहस्य बना हुआ है।
आखिरी समय दोनों ने की थी यह बात
दोनों के परिजनों का कहना है कि तीन दिन पहले रावताराम और हीराराम दोनों भाई पास-पास में सो रहे थे। इसी बीच सबसे पहले रावताराम को मौत का अहसास होने लगा था। तो उन्हेंने अपने भाई हीराराम से कहा मेरा अब समय पूरा हो गया है, इस दुनिया को छोड़ रहा हूं। इसके कुछ देर बाद ही उनकी सांसे थम गईं। जब कुछ देर बाद हीराराम ने देखा तो वह जा चुका था, फिर उसने कहा कि भाई में अब क्या करूंगा मैं भी आता हूं और तीन से चार मिनट बाद उनकी भी मौत हो गई।