सार
राजस्थान की गहलोत सरकार पर छाये संकट के बादल और गहराते जा रहे हैं। 9 महीने पहले अपनी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए बसपा के 6 विधायकों को लेकर अब एक नई चुनौत सामने आई है। भाजपा के एक विधायक और बसपा पार्टी ने इस मामले में हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। गुरुवार को हाईकोर्ट की डिवीजन बैंच ने कहा कि विधायकों को सिंगल बैंच से 8 अगस्त तक नोटिस भेजे जाएंगे। इसके बाद 11 अगस्त को फैसला होगा कि बसपा विधायकों की सदस्यता बरकरार रहेगी या नहीं।
जयपुर, राजस्थान. सचिन पायलट की बगावत के बाद कुर्सी बचाने जूझ रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सरकार पर छाये संकट के बादल और गहराते जा रहे हैं। 9 महीने पहले अपनी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए बसपा के 6 विधायकों को लेकर अब एक नई चुनौत सामने आई है। भाजपा के एक विधायक और बसपा पार्टी ने इस मामले में हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। गुरुवार को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि विधायकों को सिंगल बेंच से 8 अगस्त तक नोटिस भेजे जाएंगे। इसके बाद 11 अगस्त को फैसला होगा कि बसपा विधायकों की सदस्यता बरकरार रहेगी या नहीं।
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने गुरुवार को फैसला सुनाया कि बसपा विधायकों से नोटिस तामील कराने की जिम्मेदारी जैसलमेर जिला जज को दी जाएगी। जरूरत पड़ने पर वे पुलिस की भी मदद ले सकते हैं। बता दें कि गहलोत समर्थक कांग्रेस विधायक इस समय जैसलमेर में हैं। इनमें बसपा के 6 विधायक भी शामिल हैं। बसपा विधायकों से नोटिस तामील कराने स्थानीय अखबारों में नोटिस प्रकाशित कराया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि बसपा विधायकों के कांग्रेस में जाने को भाजपा विधायक मदन दिलावर के अलावा बसपा पार्टी ने भी हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में चुनौती दी थी। इस मामले में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच को दलील दी गई कि सिंगल बैंच ने स्टे नहीं दिया है। वहीं, बाड़ेबंदी में विधायकों से नोटिस तामील कैसे संभव होंगे? इस पर डिवीजन बेंच ने कहा कि चूंकि सिंगल बेंच ने स्टे नहीं दिया है, इसलिए वो स्टे पर कुछ नहीं कह सकती। रही बात नोटिस तामील कराने की, तो वो इसकी व्यवस्था कर रही है। बसपा ने कहा है कि जब तक कोर्ट से कोई फैसला नहीं आ जाता बसपा के 6 विधायकों को फ्लोर टेस्ट से दूर रखा जाए।