सार
राजस्थान के सीकर जिले में ब्यूरोक्रेसी और राजनेताओं में टकराव का मामला सामने आया है। जहां सरकारी अफसर द्वारा काम नहीं करने पर जिले के प्रभारी मंत्री बोले-5:00 बजे तक काम हो जाना चाहिए नहीं तो खुद को एपीओ समझना। जानिए क्या है पूरा मामला...
सीकर ( sikar). खबर सीकर जिले से है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सीकर जिले के प्रभारी मंत्री भी है। प्रभारी मंत्री का काम जिले में होने वाली तमाम योजनाओं , परियोजनाओं पर ध्यान रखना और उन्हें सही समय पर पूरा कराना होता है । प्रभारी मंत्री होने के नाते आज सीकर में जब उन्होंने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक ली तो इस बैठक में जनता से जुड़े हुए मुद्दे सामने लाए गए। जनता से जुड़े हुए कई मुद्दों में देरी होने के कारण उन्होंने संबंधित पदाधिकारियों और अफसरों को डांट फटकार लगाई। सबसे ज्यादा खिंचाई जलदाय विभाग के सबसे बड़े अफसर यानी चीफ इंजीनियर की गई।
जलदाय विभा की लापरवाही आई सामने
दरअसल सीकर में सीकर नवलगढ़ पुलिया, जगमाल पुर रोड जैसे कई मामले अटके हुए थे। जलदाय विभाग की इसमें बड़ी लापरवाही थी। जनता ने संबंधित पदाधिकारियों के जरिए इसकी सूचना जब गोविंद सिंह डोटासरा की मीटिंग में भेजी तो वे गुस्सा हो गए। उन्होंने फोन करके जलदाय विभाग के चीफ इंजीनियर दीपेश गोयल को जमकर लताड़ा, उनको यहां तक कह दिया कि अगर कल शाम 5:00 बजे तक यह सब काम नहीं हो तो खुद को एपीओ समझना। लेटर मेरे से ले जाना।
पहले भी हो चुका है राजनेताओं का अधिकारियों से टकराव
उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी कई बार राजस्थान में ब्यूरोक्रेसी और राजनेताओं में कई बार टकराव हुआ है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस टकराव में अधिकतर बार राजनेताओं को मुंह की खानी पड़ी है । यही कारण है कि कुछ दिन पहले राजस्थान सरकार के कई मंत्रियों ने मुख्यमंत्री से अफसरों की एसीआर भरने की अनुमति मांगी थी ।
अफसरों को गलती की लेनी पड़ेगी जिम्मेदारी
आज हुई बैठक में गोविंद सिंह डोटासरा के अलावा मंत्री शकुंतला रावत, विधायक हकीम अली समेत पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे। जनता से जुड़े हुए मुद्दों पर बोलते हुए गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि जो गलत है वह गलत है। अफसरों को जनता के काम करने ही होंगे। जो अफसर काम नहीं करेगा उसको इसकी जिम्मेदारी भुगतनी पड़ेगी ।
डोटासरा ने सरदार शहर उपचुनाव पर भी कहा कि कांग्रेस पार्टी ने अनिल शर्मा को टिकट दिया है और उनकी जीत लगभग तय है। जबकि भाजपा ने अनिल शर्मा के सामने जिस कैंडिडेट को टिकट दिया है वह 5 में से अपने 4 चुनाव हारे हैं और सबसे बड़ी बात है कि वह इसी सीट पर चुनाव हारे हैं। इन आंकड़ों से खुद ब खुद अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगले महीने होने वाले उपचुनाव में जीत किसकी हो रही है।