सार

मां बनना हर औरत का सपना होता है लेकिन जब शादी से पहले कोई महिला गर्भवती हो जाती है तो इसे पाप नाम दिया जाता है। आज हम एक ऐसी लड़की की कहानी आपको बताते हैं जो बिन ब्याही मां बन गई।

ब्लैक डायरी: मां बनना एक सुखद अनुभव होता है, जिसका एहसास हर महिला करना चाहती है। लेकिन जब शादी के पहले कोई लड़की प्रेग्नेंट हो जाती है, तो इसे बहुत बड़ा गुनाह माना जाता है और ना चाहते हुए भी लड़की को अबॉर्शन करवाना पड़ता है। आज ब्लैक डायरी में हम आपको ऐसी ही लड़की की कहानी बताते हैं, जो 19 साल की बाली उमर में प्रेग्नेंट हो गई। बॉयफ्रेंड ने उसका साथ छोड़ दिया। वह अबॉर्शन कराने के लिए डॉक्टर के पास गई, लेकिन वहां उसके साथ जो हुआ वह उससे भी बदतर था...

मेरा नाम शिवानी (परिवर्तित नाम) है। मैं आज 21 साल की हूं। लेकिन दो साल पहले मेरे साथ कुछ ऐसा हुआ जिसे मैं आज तक नहीं भुला पा रही हूं। दरअसल, जब मैं कॉलेज में थी तो राहुल (परिवर्तित नाम) के शख्स से मुझे प्यार हुआ, वो मेरा सिनियर था। हम दोनों एक दूसरे के प्यार में इतना खो गए कि हमारे बीच कई बार सेक्सुअल रिलेशनशिप बना। उस समय मुझे पीसीओडी की प्रॉब्लम थी, तो मेरे पीरियड अनियमित रहते थे, इसलिए सेक्स के बाद पीरियड्स लेट होने पर मैं ज्यादा सोचती नहीं थी। एक बार ऐसा ही हुआ कि सेक्स करने के बाद उस महीने मेरे पीरियड नहीं आए। मुझे लगा कि पीसीओडी की वजह से ऐसा हो रहा है, लेकिन जब अगले महीने भी मेरे पीरियड्स नहीं आए तो मैंने अपने बॉयफ्रेंड को यह बात बताई। उसने मुझे प्रेगनेंसी टेस्ट किट लाकर दी, जब मैंने 3-4 बार टेस्ट किया, तो हर बार ये पॉजिटिव आया।

मैं बहुत डर गई थी, क्योंकि अगर मेरे घर वालों को यह बात पता चलती तो वह मुझे जिंदा जला देते। मैंने अपने बॉयफ्रेंड से कहा कि हम शादी कर लेते हैं या अबॉर्शन कराने में मेरी मदद करो, तो उसने मेरा फोन उठाना बंद कर दिया। यहां तक कि मुझे ब्लॉक कर दिया। मैं पूरी तरह से टूट चुकी थी, क्योंकि मैं 2 महीने प्रेग्नेंट थी और मेरा साथ देने के लिए कोई भी नहीं था। मैं डॉक्टर के पास गई और अबॉर्शन करने के लिए कहा, तो डॉक्टर ने भी मेरे अकेले होने का फायदा उठाया और मुझे सर्जिकल अबॉर्शन करने पर जोर दिया।

सर्जिकल अबॉर्शन करवाना मतलब मेरी जिंदगी पर एक तरह से दाग लगना ही था, क्योंकि इससे मेरे घर वालों को आसानी से पता चल जाता कि मैं प्रेग्नेंट थी। इसलिए मैंने डॉक्टर से दवाइयों से अबॉर्शन करने के लिए कहा। लेकिन वह लगातार मुझ पर सर्जिकल अबॉर्शन का दबाव बनाता रहा। इसके बाद जब मैं नहीं मानी तो डॉक्टर ने मुझे ऐसी दवाइयां दी, जिससे मुझे असहनीय दर्द हुआ और ब्लीडिंग हुई। मेरा शरीर काफी कमजोर हो गया था। जिससे उबरने में मुझे 2 से 3 महीने का समय लगा। आज भी जब मैं उस बारे में सोचती हूं तो मेरी रूह कांप जाती है कि किस तरह से मेरे शरीर के साथ खिलवाड़ किया गया।

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