सार

अभी हर कोई कोरोना वायरस के फैलने से परेशान है। इसका असर नजदीकी संबंधों पर भी बहुत बुरा पड़ रहा है। लोग इस डर से कि कहीं वायरस का संक्रमण न हो जाए, एक-दूसरे से मिलने में भी डरने लगे हैं।

रिलेशनशिप डेस्क। अभी हर कोई कोरोना वायरस के फैलने से परेशान है। इसका असर नजदीकी संबंधों पर भी बहुत बुरा पड़ रहा है। लोग इस डर से कि कहीं वायरस का संक्रमण न हो जाए, एक-दूसरे से मिलने में भी डरने लगे हैं। जहां तक पार्टनर्स का सवाल है, वे भी कोरोना के डर से एक-दूसरे से मिलने में कतराने लगे हैं। इसका लोगों के मन पर नेगेटिव असर पड़ रहा है और उनमें हर समय एक अनजाना भय बना रहता है। वहीं, डॉक्टरों और साइकोलॉजिस्ट्स का कहना है कि कोरोना के संक्रमण का खतरा तब है, जब आप अनजान लोगों के संपर्क में आते हैं। जिन लोगों में इसका संक्रमण नहीं है, उनसे मिलने और हाथ मिलाने या रिलेशनशिप बनाने में कोई रिस्क नहीं है। फिर भी लोग सेल्फ आइसोलेशन पर जोर दे रहे हैं। 

क्या कहना है एक्सपर्ट का
यूनाइटेड किंगडम, ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंगिलिया में मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर पॉल हंटर का कहना है कि कोरोना वायरस का संक्रमण सांस के जरिए फैलता है। ऐसे में, जब तक पार्टनर को सांस संबंधी कोई परेशानी नहीं हो और कोरोना के दूसरे लक्षण नहीं दिख रहे हों, उन्हें करीब आने में कोई खतरा नहीं हो सकता। लेकिन अगर सर्दी-जुकाम, खांसी और सांस संबंधी किसी तरह की दिक्कत हो तो तत्काल कोरोना का टेस्ट करवाना चाहिए और जब तक परिणाम सामने नहीं आ जाते, सेल्फ आइसोलेशन में रहना चाहिए।

अमेरिका में जारी हुई गाइडलाइन
कोरोना के खतरे को देखते हुए लोगों को अपने पार्टनर से कैसे रिलेशन रखने चाहिए, इसे लेकर न्यूयॉर्क पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट ने एक गाइडलाइन जारी की है। इसमें कहा गया है कि अगर पार्टनर में कोरोना संक्रमण के कोई लक्षण नहीं हैं और टेस्ट में उसे नेगेटिव पाया गया है तो संबंध बनाने में परहेज करने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन अनजान लोगों से किसी भी हाल में करीबी संपर्क में नहीं आएं।

मानसिक रूप से मजबूत रहना जरूरी
कोरोना को लेकर जो डर की स्थिति बनी हुई है, उसमें लोग घरों में आइसोलेशन में रहते हुए भी एक साथ बैठ कर बातचीत करने, बच्चों को गोद में लेने और उन्हें दुलारने से कतराने लगे हैं। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि यह ठीक नहीं है। अभी दुनिया के 35 से भी ज्यादा देशों में कोरोना को लेकर लॉकडाउन की स्थिति है और इससे एक अरब से भी ज्यादा आबादी घरों में रहने को मजबूर हो गई है। इससे मानसिक दबाव बढ़ता है, जो संबंधों पर खराब असर डालता है। इसलिए डर से बचें और घर में सभी के साथ सामान्य संबंध रखें और बातचीत करते रहें।